डॉ भावना राय पटेल: सन स्ट्रोक या लू लगना -कारण, लक्षण और बचाव - जानें एक्सपर्ट से
सन स्ट्रोक या लू लगना -कारण, लक्षण और बचाव -जानें एक्सपर्ट डॉ भावना राय पटेल से
गर्मियां आते ही हमारे मन में कई ख्याल आने लगते हैं जैसे गर्मियों की छुट्टियां, घूमना फिरना, हिल स्टेशन, आइसक्रीम, शीतल पेय, आराम की नींद आदि लेकिन जब इन्ही गर्मियों मे सूर्यदेव अपना कहर बरपाते हैं तब जनजीवन में त्राहि मच जाती है और जब दिन का तापमान 30 °C से अधिक हो जाता है तो वो दिन गर्म दिन तथा जब दिन का तापमान 35 °C-40•C या अधिक होता है तो लू का प्रकोप शुरू हो जाता है।
सनस्ट्रोक(sunstroke) / लू लगना क्या है?
गर्म हवाओ तथा सूरज की तेज धूप के कारण वातावरण का तापमान अत्यधिक हो जाता है और हमारे शरीर का अंद्रुनी तापमान( core body temperature) समान्य तापमान से ज्यादा हो जाता है जिससे शरीर मे पानी की कमी आ जाती है जिसके कारण कई प्रकार के लक्षण आने लगते हैं जैसे की त्वचा का लाल होना,पसीना आना , बुखार आना,चक्कर आना(vertigo) , मतिभ्रम (confusion) , हाथ पैरों मे दर्द होना, सिर दर्द, मिथली या उल्टी आना, दस्त लगना, भूख न लगना इत्यादि सन स्ट्रोक या लू कहलाता है।
सनस्ट्रोक (sunstroke) के कारण:
लू लगना या sunstroke एक जानलेवा अवस्था है जिसमे की सूर्य की तेज धूप में या गर्म तापमान वाले स्थान पर अत्यधिक समय तक लगातार काम करने के कारण व्यक्ति के शरीर में गंभीर ताप आ जाता है जिसमे शरीर का तापमान 40°C तक या उस ज्यादा पहुँचने की संभावना हो जाती है और कई प्रकार के घातक लक्षण आने लगतें है इसे आम भाषा हीट स्ट्रोक(heatstroke) या लू लगना भी कहते हैं।
लू लगने के बाद के लक्षण:
* शरीर का तापमान अत्यधिक होना जिससे बुखार आ जाता है और शरीर का तापमान 40°C /104°F हो जाता है।
* कमजोरी आना।
* एनहिड्रोसिस्(enhidrosis): इस अवस्था में शरीर से पसीना नही निकलता तथा त्वचा खुश्क रहती है जो कि नॉन एक्सअरशनल सन स्ट्रोक का लक्षण है।
* अटैक्सिया (Ataxia) : काम करने,चलने फिरने मे हाथ पैरों में तकलीफ होना या शरीर की क्रियाओ के तालमेल मे कमी आने से लडखड़ाहट होने लगती हैं।
* संतुलन (balance) :शरीर के बैलेंस:शरीर के बैलेंस में कमी आना जिससे चक्कर, घबराहट , मिथली या उल्टियां होने लगती हैं।
• चक्कर आना (dizziness ) ।
• अत्यधिक पसीना आना (sweating) जिससे शरीर मे पानी की कमी आ जाती है और डिहाइड्रेशन हो जाता है और बार बार मुह सूखता है और प्यास लगती है।
• त्वचा गर्म तथा लाल हो जाती है, कई बार चेहरा एवं शरीर की त्वचा में पीलापन आ जाता है।
• पेशाब पीली, गर्म तथा कम मात्रा मे आती है।
• लो या हाई ब्लड प्रेशर होना(hypotension/hypertension) ।
• हृदय की धड़कन तेज होना (palpitation)
• पल्स तेज होना (tachycardia)
* सांस तेज चलना (rapid breathing)
* कई बार अवस्था अनियंत्रित होने के कारण आर्गन फैल (organ failure) , ब्रेनहेमरेज (brain haemorrhage) तक होने की संभावना हो जाती है।
बचाव :
•धूप मे जाने से बचें,ज्यादा जरूरत हो तभी धूप मे जाएँ।
•त्वचा पर सन्स्क्रीन लोशन लगा कर बाहर निकले।
* ज्यादा पानी पियें, ज्यादा से ज्यादा तरल लें, फ्रूट जूस, लस्सी, छाछ आदि।
* ढीले एवं हल्के रंग के कपड़े पहने, कॉटन के कपड़ो का उपयोग करें।
* टोपी, गमछा, तथा धूप के चश्मे का प्रयोग करें।
* नारियल पानी,नींबू पानी, छाछ,लस्सी, तरबूज, कैरी का पना ,ककड़ी , प्याज खायें।
* अचानक गर्म या ठंडी जगह पर न जाएँ इससे शरीर का तापमान अचानक बदलता है उर लू का खतरा बढ जाता है।
उपचार :
•लू लगने पर व्यक्ति को जल्द ही ठंडे एवं छायादार स्थान पर ले जाएँ!
•शरीर का तापमान कम करें! हाथ पैरों तथा सिर को ठंडे पानी से भिगो दें!
•अतिरिक्त कपड़े हटा दें!
•बर्फ का उपयोग करें इसे सिर पर तथा हाथ पैरों पर लगाएं, शरीर का तापमान कम होगा!
•पंखे,कूलर, एसी का प्रयोग करें तापमान कम होगा!
•ठंडे पेय पिलाएं, शरीर को रिहाईड्रेट करें!
•सुधार न होने पर डॉक्टर कि सलाह जरूर लें!
Created On :   13 May 2024 6:34 PM IST