महिलाएं शराब नहीं परोस सकती थीं, कानून बदला और बदल गई मीनाक्षी की Life, दुनियाभर में टॉप पर है Sidecar Bar
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। साउथ दिल्ली के अपमार्केट ग्रेटर कैलाश-2 में भारत का मशहूर "बार" हैं। जिसे हाल ही में विश्व की 100 सर्वश्रेष्ठ बार की सूची में स्थान मिला हैं। मीनाक्षी सिंह द्वारा संचालित "सिडकर बार" (Sidecar Bar) को 91वां रैंक मिला हैं। देश में कॉकटेल बार के प्रचलन में दिल्ली का "सिडकर बार" (Sidecar Bar) सबसे आगे हैं।
सिडकर बार (Sidecar Bar) की सक्सेस का आधा श्रेय मीनाक्षी सिंह को जाता हैं। बता दें कि इन्होनें अपने बिजनेस पार्टनर और बेहद अनुभवी बारटेंडर यांग्डुप लामा के साथ बार की सह-स्थापना की थी। लेकिन साल 2000 के वक्त वास्तव में भारत में महिलाओं को बारटेंड करना गैरकानूनी था।
मीनाक्षी सिंह का सफर
सिंह के मुताबिक, एक पुराना ब्रिटिश कानून था कि, महिलाएं शराब नहीं परोस सकती थीं, जबकि 2007 में राष्ट्रीय कानून को उलट दिया गया था, भारत के 29 राज्यों में से प्रत्येक ने अपने स्वयं के शराब कानून बनाए। वही दिल्ली के लिए, कानून को आधिकारिक तौर पर 2010 तक निरस्त नहीं करना था। लेकिन वो साल 2003 में लामा से मिली जो पहले से ही एक स्थापित बारटेंडर थे। वही लामा, मीनाक्षी के लिए एक मेटर यानि कि गुरु की तरह थे जो उन्हें इस दुनिया के दरवाजे में पैर रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले थे।
जिसके बाद सिंह ने spirits giant Diageo और Pernod Ricard जैसी पेय उद्योग के मार्केट में सालों काम किया। हालांकि उनका विचार अपने खुद का एक बार चलाने का था। ये विचार 2012 में सच साबित हुआ और लामा और सिंह ने दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम में स्थित गुरुग्राम में अपना पहला बार, कॉकटेल और ड्रीम्स स्पीकसी ( Speakeasy) खोला, जो अपने तकनीकी और वित्तीय स्टार्टअप के लिए मशहूर था।
2012 में, भारत का बार दृश्य परिवर्तन के कगार पर था, विक्रम अचंता,जो कि एक पेय पदार्थ प्रशिक्षण और परामर्श फर्म Tulleeho के सीईओ और भारत के सर्वश्रेष्ठ बार्स पुरस्कार के सह-संस्थापक हैं, उनके मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में उपभोक्ता की एक नई नस्ल बनी हैं जो न्यूयॉर्क, लंदन, सिंगापुर और हांगकांग जैसे शहरों की तरह "महानगरीय" बार की तलाश में हैं।
सफलता के कुछ पहलू
ये स्थान था मध्य दिल्ली का भीड़ से भरा हुआ जैसा कि लामा और सिंह दोनो ही चाहते थे लेकिन इसका खर्च उठाने में वो फिलहाल असमर्थ थे। उन्होनें साल 2012 में स्पीकसी बार ( Speakeasy) की शुरुआत की। जिसकी बढ़ती सफलता और प्रतिष्ठा ने सिंह और लामा को उनके "ड्रीम बार" के लिए पैसे इकट्ठा करने का मौका दिया। उद्घाटन के एक साल के भीतर, सिडकर ने अक्टूबर 2019 में भारत के 30 सर्वश्रेष्ठ बार्स पुरस्कारों में तीन पुरस्कार प्राप्त किए थे, जिसमें भारत के शीर्ष बार भी शामिल थे।
पुरुष प्रधान है मार्केट
भारत एक ऐसा देश हैं जहां हमेशा से परिवार के नजर में शराब वर्जित रहा हैं। धीरे-धीरे इस पेशे में महिलाएं प्रवेश कर रही हैं। बावजूद इसके ये एक पुरुष-प्रधान स्थान हैं। बड़े होटल और रेस्तरां इस परंपरा को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। भारत के सर्वश्रेष्ठ बार्स पुरस्कार के सह-संस्थापक अचंता के अनुसार, "पांच सितारा होटल श्रृंखलाओं में आम तौर पर सुरक्षित कामकाजी माहौल होता है, और महिला कर्मचारियों के लिए पिक और ड्रॉप-ऑफ की व्यवस्था कर सकते हैं,"
वही मीनाक्षी सिंह इस बात से सहमत हैं कि बड़े समूहों को आगे बढ़ने की जरूरत है। पेय पदार्थों की दुनिया में भारत जैसे देश में अधिक महिलाओं को आगे आना बहुत जटिल था। लेकिन इसने उन्हें चीजों को बदलने की कोशिश करने से नहीं रोका।
मीनाक्षी के पिता ने किया समर्थन
सिंह के पिता ही थे जिन्होंने उन्हें साल 2011 में स्पीकसी बार में उन्हें अपनी किसमत आजमाने के लिए प्रेरित किया था। मीनाक्षी के अनुसार "मेरे पिताजी ने कहा, "बस आगे बढ़ो और इसे करो," "हम भारत में अभी भी बहुत पारंपरिक हैं, जो एक महिला से उम्मीद की जाती है अब आप कम उम्र में हैं, आप शादी कर लेते हैं, फिर आपको एक बच्चा होना चाहिए, और फिर आपके पास एक और बच्चा होना चाहिए या जो भी हो। फिर आपके पास समय है। बाद में (अपना करियर) करना। मैं सिर्फ इस तथ्य से प्यार करती हूं कि मेरे पिताजी ने मुझे आगे बढ़ने और इस काम को करने के लिए कहा। " सिंह का कहना है कि उनके पिता उनके "सबसे बड़े प्रेरकों" में से एक रहे हैं, और यह उनकी वही सलाह है जो वह अन्य महिलाओं को अब उद्योग में प्रवेश करने के लिए देंगी। "किसी और की स्वीकृति की प्रतीक्षा न करें। आप जो करना चाहते हैं, उसके लिए जाएं। "
Created On :   22 Dec 2020 4:31 PM IST