सिंधी रीति रिवाज से शादी कर रहीं हैं एक्ट्रेस हंसिका मोटवानी, जानिए क्या हैं इससे जुड़ी अनोखी रस्में
डिजिटल डेस्क मुंबई। एक्ट्रेस हंसिका मोटवानी इन दिनों अपनी शादी को लेकर सुर्खियों में हैं। एक्ट्रेस की शादी जयपुर के 450 साल पुराने मुंडोता फोर्ट पैलेस में हो रही हैं। हंसिका मोटवानी की शादी सिंधी रीति रिवाजों से हो रही हैं। वहीं उनकी शादी के प्री-वेडिंग फंक्शन भी शुरू हो गये हैं। भारत में हर जाति समुदाय में शादियां अलग-अलग रीति रिवाज और मान्यताओं के साथ होती है। जिनमें कई अनोखी रस्में शामिल होती हैं। ऐसे ही सिंधियों में शादी के वक्त कई अनोखी रस्में की जाती हैं। जिसमें पूरा परिवार साथ मिलकर मस्ती मजाक करता है। तो चलिए जानते हैं हंसिका जिस रिवाज से शादी कर रही हैं उसमें कौन-कौन सी अनोखी और हैरान करने वाली रस्में शामिल हैं
जान्या
जान्या सिंधी शादी की एक महत्वपूर्ण रस्म मानी जाती है। ये जनेऊ की तरह होता है जहां पवित्र धागा दूल्हे को पहनाया जाता है। अगर ये रिवाज नहीं किया गया तो शादी को पूरा नहीं माना जाता है।
कच्ची मिश्री और पक्की मिश्री
कच्ची मिश्री शादी की घोषणा की तरह होती है जहां दूल्हे और दुल्हन को नारियल और मिश्री दी जाती है जो शादी की शुरुआत मानी जाती है। वहीं पक्की मिश्री फॉर्मल सगाई की रस्म होती है जहां पर दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को अंगूठियां पहनाते हैं और गणेश पूजा और अरदास की जाती है।
बराना सत्संग और देव बिठाना
सगाई के बाद सत्संग समारोह किया जाता है। जिसमें एक अच्छे विवाहित जीवन के लिए गवान झूलेलाल की पूजा की जाती है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। दोनों घरों में देवता की पत्थर की मूर्ति स्थापित की जाती है। इसे “देव बिठाना” के नाम से जाना जाता है।
लाडा और तिह
संगीत की रस्म को सिंधी मे लाडा कहा जाता है, जिसमें पड़ोस और करीबी रिश्तेदार महिलाएं इकट्ठा होती हैं और गीत गाती हैं साथ में डांस भी करती हैं। सिंधी परिवारों में गणपति जी की पूजा की जाती है जिससे तिह कहा जाता है|
घारी और नवग्रह पूजा समारोह
इस रस्म में महिलाएं दुल्हन एवं दूल्हे के घर पर इकट्ठा होती है और गेहूं पिसती है। इस अनुष्ठान को घर में समृद्धि लाने वाला अनुष्ठान माना जाता है। इसे धारी कहा जाता है। नवग्रह पूजा में देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और सभी नौ ग्रहों की पूजा की जाती है। दूल्हा एवं दुल्हन सभी देवी देवताओं की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
सांठ/वनवास
ये रस्म दूल्हे और दुल्हन के घरों में अलग-अलग की जाती है और ये शादी के एक या दो दिन पहले होती है। सांठ की रस्म में पंडित द्वारा पूजा कर एक छल्ला दूल्हे और दुल्हन के दाएं पैर पर बांधता है। इसके बाद साल सुहागनें दूल्हे और दुल्हन के सिर पर तेल डालती हैं और इस रस्म के बाद दोनों को नए जूते पहन कर एक मिट्टी का दिया अपने दाएं पैर से तोड़ना होता है। अगर दिये टुट जाते हैं तो इसे शुभ माना जाता है। वहीं इस रस्म के बाद दूल्हे के कपड़े फाड़ने की रस्म की जाती है जहां पूरा परिवार मिलकर दूल्हे के कपड़े को एक साथ फाड़ते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बुरी नजर दूर हो गए।
4 फेरों का रिवाज
हम ने हमेशा शादियों में 7 फेरों का रिवाज सुना है वहीं सिंधी शादियों में सिर्फ 4 फेरे होते हैं और दुल्हन का नाम पूरी तरह से बदल दिया जाता है। दूल्हे के नाम और दुल्हन की कुंडली के आधार पर नया नाम रखा जाता है। इसके बाद कन्यादान होता है।
दातर
इस रस्म में दुल्हन का गृहप्रवेश होता है और दुल्हन घर में आते ही घर के चारों ओर दूध छिड़कती है। इसके बाद वो थोड़ा सा नमक अपने पति के हाथ में देती है और दोबारा बिना नमक गिराए वो वापस अपने हाथों में लेती है। ये दातर की रस्म तीन बार होती है।
Created On :   3 Dec 2022 5:53 PM IST