Coronavirus Motivation: बुरा जो देखन मैं चला - पंकज राय
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्वयं से कुछ महत्वपूर्ण सवाल?
- क्या मैं हर वक्त दूसरों में बुराई देखता हूं?
- क्या दूसरों की बुराई करने में मुझे कुछ विशेष आनंद आता है?
- क्या मैं स्वयं की बुराई देखता हूं एवं स्वीकार करता हूं?
- क्या मैं कभी ,स्वयं को, दूसरे के स्थान पर रखकर परिस्थिति का अवलोकन करता हूं?
- क्या व्यर्थ की नकारात्मक गपशप में ,मैं ज्यादा रुचि लेता हूं?
दृष्टिकोण का शाब्दिक अर्थ यह है कि हम किसी विषय,व्यक्ति या वस्तु को किस तरफ से या किस तरह से देख रहे हैं। आपका दृष्टिकोण आपके व्यक्तित्व पर निर्भर करता है जो कि सकारात्मक अथवा नकारात्मक होने पर, एक ही विषय,व्यक्ति या वस्तु के अलग-अलग रूप देखता हैं।
“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।“
कबीर दास जी ने कहा है कि इस संसार में जब मैं बुराई खोजने गया तो सबसे ज्यादा बुराई मुझे अपने ही अंदर मिली ।मनोवैज्ञानिक रूप से नकारात्मक दृष्टिकोण के लोगों में कुछ सामान्य लक्षण जैसे कि, ज्यादा चिंता, निराशावादी,शिकायती, बहुत ज्यादा आरामदेह , उनके वाक्यों में किंतु,परंतु, कभी नहीं एवं हमेशा ज्यादा होता है, उत्साह की कमी, ऊर्जा शोषक इत्यादि सामान्य है ।
नकारात्मक दृष्टिकोण को परिवर्तित करने हेतु कुछ सुझाव इस प्रकार है।
- दृष्टिकोण को एक दिशा की जगह दोनों तरफ रखें ,अर्थात आप दृश्य एवं दृष्टा दोनों को देख पाने में समर्थ हो । जो बुराई कर रहा है एवं जिसकी बुराई हो रही है, यदि हम दोनों को एक साथ देख पाने में सक्षम होते हैं तो हमारा दृष्टिकोण परिवर्तित होता है।
- ऐसा माने कि दूसरों से ज्यादा ,स्वयं में बुराई देखने में सबसे ज्यादा फायदा आपका स्वयं का होता है।
- शिकायत की जगह ,ज्यादा से ज्यादा धन्यवाद देना प्रारंभ करें ।
- जितना ज्यादा समय एवं ऊर्जा सकारात्मक रूप से आप स्वयं को देते हैं,उतने ज्यादा आप सशक्त एवं धैर्यवान हो जाते हैं।
- सकारात्मक दृष्टिकोण आप की नेतृत्व क्षमता एवं समस्याओं से निपटने हेतु रचनात्मकता में मदद करता है।
धन्यवाद
पंकज राय
(अंतर्राष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर ,लेखकएवं मनोवैज्ञानिक )
M +919407843111
Created On :   28 April 2020 12:27 PM GMT