गठिया का इलाज: डॉ. मुकेश शारदा से जानिए, गठिया कैसे ठीक हो सकता है?

डॉ. मुकेश शारदा से जानिए, गठिया कैसे ठीक हो सकता है?
अगर आप भी गठिये से परेशान है या आपकी भी रिपोर्ट में RA factor बढ़ा हुआ है तो आपको इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और तुरंत ही किसी अच्छे और अनुभवी डॉक्टर से परामर्श लेकर अपना इलाज शुरू करवाना चाहिए।

लुधियाना, अप्रैल 21: क्या आपको भी हाथ-पैरों के अकड़न, जोड़ों में दर्द, और सारा दिन थकावट का अनुभव रहता है? हालांकि अगर आपको ये दिक्कतें कभी-कभी या कोई मेहनत भरा काम, जैसे कोई भारी सामान उठाने, ज्यादा जिम करने या कोई लम्बा सफर करना आदि के कारण हो रही है, तो ये सामान्य है और थोड़े समय में खुद ही ठीक भी हो जाएंगी। लेकिन अगर आपको यह समस्याएं बार-बार, काफी लम्बे समय से और बिना किसी कारण के हो रही है, तो संभवत है कि आपको गठिया है।

गठिया ठीक करना है संभव

अक्सर मरीज़ों को गलत धारणा में रखा जाता है कि गठिया एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जो भी ठीक नहीं हो सकती और सारी उम्र दवाइयों पर निर्भर रहना ही इसका एकमात्र विकल्प है जो मरीज़ों को ना चाहते हुए भी अपनाना ही पड़ेगा। लेकिन यह पूरा सच नहीं है।

वास्तव में गठिया 100+ से भी अधिक प्रकार का होता है और अधिकतर मामलों में, आप अपने खाने-पीने में कुछ परहेज़ करके, दिनचर्या में बदलाव और सही उपचार के विकल्प का चयन कर, गठिये और इस से होने वाली जोड़ों की समस्याओं से छुटकारा पा सकते है।

“अगर आप गठिए के प्रारंभिक या मध्यम स्तर पर है, तो आयुर्वेदिक उपचार के साथ आपको अपनी जोड़ों की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। जीवन-भर दवाइयों का सेवन या ऑपरेशन केवल उन्ही मरीज़ों के लिए सुझाया जाता है, जिनका गठिया कोई भी प्रभावी चिकित्सा ना मिलने के कारण, आखिरी स्तर तक पहुंच चुका है और उनके हाथ-पैर और अन्य जोड़ भी टेढ़े-मेढ़े हो चुके है।”

डॉ. मुकेश शारदा का बयान

गठिये के मुख्य प्रकार:

1. रूमेटाइड आर्थराइटिस: यह एक ऑटोइम्यून विकार है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला कर, आपके जोड़ों में दर्द, सूजन, और अकड़न उत्तपन करता है। इसमें मुख्य रूप से छोटे जोड़ों पर प्रभाव पड़ता है।

2. ऑस्टियोआर्थराइटिस: इस प्रकार का गठिया मुख्य रूप से बढ़ती उम्र और जोड़ों की कम होती मज़बूती के कारण होता है। पहले समय में यह जोड़ विकार बूढ़े-बुज़ुर्गो में अधिक देखा जाता था, आजकल तो ये 30-40 साल की नौजवान पीढ़ी को भी अपनी चपेट में ले चुका है।

3. सोरियाटिक आर्थराइटिस: यह गठिया, सोरायसिस नामक एक त्वचा रोग के बाद होता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस की ही तरह सोरियाटिक आर्थराइटिस भी ऑटोइम्यून अवस्था ही होती है और यह शरीर के जोड़ और त्वचा दोनों को प्रभावित कर सकता है।

4. गाउट: शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से गाउट की समस्या होती है। जोड़ों में दर्द और सूजन के इलावा पैर के अंगूठे में विकृति, गाउट का एक मुख्य लक्षण है।

5. एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस: इसे हम रीढ़ की हड्डी का गठिया भी कह सकते है क्योंकि इसमें मरीज़ को दर्द उसकी पीठ में होता है जो समय के साथ-साथ कंधों, या नीचे कमर और लातों तक भी जा सकता है।

6. फाइब्रोमायल्जिया: इस तरह के गठिये का पता लगाना सबसे कठिन होता है। क्योंकि फाइब्रोमायल्जिया में मरीज़ को किसी केंद्रित जोड़ की अपेक्षा, पूरे शरीर में ही दर्द का आभास होता है और इसके साथ-साथ थकावट और नींद से संबंधित परेशानियां भी अनुभव होती है।

7. रेक्टिव आर्थराइटिस: इस प्रकार का गठिया शरीर में किसी संक्रमण के बाद जोड़ों में दर्द और सूजन पैदा करता है। इन संक्रमणों में आंतों या मूत्र मार्ग में संक्रमण खास रूप से शामिल है।

गठिया है तो क्या करें?

अगर आप भी गठिये से परेशान है या आपकी भी रिपोर्ट में RA factor बढ़ा हुआ है तो आपको इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और तुरंत ही किसी अच्छे और अनुभवी डॉक्टर से परामर्श लेकर अपना इलाज शुरू करवाना चाहिए।

इलाज और दवाइयों के साथ-साथ आपको कुछ अन्य चीज़ों का भी ध्यान रखना चाहिए जैसे दवाई समय पर लेना, शराब और धूम्रपान का सेवन ना करना, योग, सैर या कसरत जैसी आदतों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना और अपने खाने-पीने में परहेज़ करना। अधिक जानकारी या गठिए के कुदरती उपचार के लिए आप डॉ. शारदा आयुर्वेदा के डॉक्टर्स से भी परामर्श ले सकते है।

संपर्क जानकारी:

डॉ. शारदा आयुर्वेदा अस्पताल

फ़ोन नंबर: +91 98760-35500

ईमेल: info@drshardaayurveda.com

वेबसाइट: https://drshardaayurveda.com/

Created On :   26 April 2025 11:54 AM IST

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