न्यू ईयर 2025: जनवरी में ही क्यों मनाते हैं नया साल, क्या है इसका इतिहास? जानें, नए साल के बारे में ये कुछ खास फैक्ट्स
- नई शुरुआत का प्रतीक है नया साल
- यहां से हुई नए साल मनाने की परंपरा
- जानें ग्रेगोरियन कैलेंडर का इतिहास
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर साल जैसे ही 31 दिसंबर की रात घड़ी में 12 बजाती है, तो पूरी दुनिया जश्न में डूब जाती है। आतिशबाजी, गाने और खुशियों के शोर के बीच लोग नए साल का स्वागत करते हैं। नया साल, ये केवल एक तारीख बदलने का नहीं, बल्कि खुद को बेहतर बनाने का मौका है। ये दिन हमें अतीत को पीछे छोड़कर, ऊर्जा और उम्मीद के साथ एक नई शुरुआत करने का मौका देता है। अब चाहे, इसे आतिशबाजी और पार्टियों के साथ मनाया जाए या शांति और ध्यान में मनाया जाए। ये दिन हर किसी के लिए खास होता है। आज से कुछ दिनों बाद नए साल का आगमन होने जा रहा है, जिसका इंतजार हम सभी लोग बेसब्री से कर रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि, नया साल मनाने की ये परंपरा आखिर कहां से आई? क्यों हम सभी 1 जनवरी को ही साल का पहला दिन मानते हैं और क्या ये हमेशा से ऐसे ही मनाया जाता था? चलिए आज हम इस ऐतिहासिक यात्रा को समझते हैं।
कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ नया साल मनाना?
नया साल मनाने की परंपरा केवल आज का उत्सव नहीं है, बल्कि इसका इतिहास हजारों साल पुराना है। ये कहानी मेसोपोटामिया ( वर्तमान में इराक) के खेतों से लेकर रोम के सम्राटों तक और फिर पूरी दुनिया में फैली हुई है। इसका सबसे पहला रिकॉर्ड मेसोपोटामिया में मिलता है। ये लगभग 4,000 साल पहले की बात है। उस समय लोग नए साल को अकितु पर्व (Akitu festival) के नाम से मनाते थे। ये पर्व वसंत ऋतु में फसल कटाई के समय आता था, जिसे प्रकृति के बदलाव और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता था।
रोमन साम्राज्य और 1 जनवरी
नए साल को 1 जनवरी से जोड़ने में रोमन साम्राज्य ने अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जूलियस सीजर ने 46 बी.सी (B.C.) में जूलियन कैलेंडर पेश किया था। जिसमें उन्होंने 1 जनवरी को नया साल यानी साल का पहला दिन घोषित किया। इस तारीख को चुनने के पीछे खास कारण 'जानुस' (Janus) था। रोमन के पौराणिक कथाओं के मुताबिक, 'जानुस' को नई शुरुआत और प्रवेश द्वार का देवता माना जाता था। उनकी मूर्ति के दो चेहरे थे जिसमें, एक चेहरा अतीत की ओर ले जाता था और दूसरा भविष्य की ओर। माना जाता है कि, जनवरी महीने का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया है। इसीलिए 1 जनवरी को अतीत को छोड़कर भविष्य की ओर देखने का प्रतीक माना गया।
ईसाई धर्म का प्रभाव
जूलियस सीजर के बाद, ईसाई धर्म का प्रभाव बढ़ने लगा था। जिसके कारण 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा कुछ समय के लिए खत्म हो गई। जहां चर्च ने नए साल को क्रिसमस (25 दिसंबर) या ईस्टर (मार्च-अप्रैल) के समय से जोड़ दिया। उसके बाद जब 1582 में पोप ग्रेगरी XIII ने ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) पेश किया, तो 1 जनवरी को फिर से नया साल घोषित किया गया। आपको बता दें कि, पूरी दुनिया में नए साल की शुरूआत पारंपरिक ग्रिगोरियन कैलेंडर के मुकाबिक मानी जाती है। इस कैलेंडर की शुरूआत ईसाई धर्म के लोगो ने की थी। इससे पहले पूरी दुनिया रूस का जूलियल कैलेंडर को फॉलो करती थी जिसमें केवल 10 महीने ही हुआ करते थे। बता दें कि, आज भी पूरी दुनिया ग्रेगोरियन कैलेंडर का ही इस्तेमाल करती है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर का इतिहास
ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, साल में 365 दिन होते हैं और हर 4 साल बाद लीप ईयर आता है। लीप ईयर में एक एक्सट्रा दिन जोड़ा जाता है जिससे ये 366 दिन हो जाते हैं। इस एक्सट्रा दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है और हर चार साल बाद फरवरी का महीना 28 दिनों की बजाय 29 दिनों का हो जाता है। असल में सूर्य को पृथ्वी का चक्कर लगाने में 365 दिन और करीब 6 घंटे लगते हैं। ऐसे में ये 6-6 घंटे की अवधि जुड़ते हुए 4 सालों में पूरे 24 घंटे की हो जाती है और 24 घंटे का एक पूरा दिन होता है। तब जाकर एक सूर्य वर्ष पूरा होता है और नए साल की शुरूआत होती है। इस तरह हर चौथे साल की गणना में एक एक्सट्रा दिन जुड़ जाता है और वो साल 366 दिनों का हो जाता है।
किसी भी कैलेंडर की गणना सूर्य चक्र (solar cycle) या चंद्र चक्र (lunar cycle) के मुताबिक तैयार किया जाता है। जिसमें चंद्र चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 354 दिन होते हैं और सूर्य चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 365 दिन होते हैं। ऐसे में अगर हम हिंदू कैलेंडर और ग्रेगोरियन कैलेंडर के बीच अंतर की बात करें, तो ग्रेगोरियन कैलेंडर पृथ्वी की परिक्रमा पर आधारित है क्योंकि, ये सूर्य के चारों ओर घूमती है। जबकि हिंदू कैलेंडर पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति पर आधारित है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में, हर 12 महीने में 30 या 31 दिन होते हैं, जबकि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, महीने में केवल 28 दिन ही होते हैं।
Created On :   27 Dec 2024 4:08 PM IST