नवरात्रि 2024: नवरात्रि का इतिहास सिर्फ मां दुर्गा ही नहीं बल्की भगवान श्रीराम से भी है जुड़ा, जानें इससे जुड़ी कुछ पौराणिक मान्याताओं को

नवरात्रि का इतिहास सिर्फ मां दुर्गा ही नहीं बल्की भगवान श्रीराम से भी है जुड़ा, जानें इससे जुड़ी कुछ पौराणिक मान्याताओं को
  • नवरात्रि का सिर्फ नौ दुर्गा ही नहीं बल्कि राम जी से भी है संबंध
  • नवरात्रि का इतिहास
  • क्यों मनाते हैं नवरात्रि?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि का त्योहार शुरू होने वाला है जिसमें हम नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। ये त्योहार 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक चलेगा। इस त्योहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। वैसे तो पंचांग के मुताबिक, पूरे साल में कुल चार नवरात्रियां मनाई जाती हैं। जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्रि और एक शारदीय नवरात्रि होती है। चैत्र और आश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि प्रमुख मानी गई हैं। इस दौरान लोग मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और व्रत-उपवास रखते हैं। साथ ही मां दुर्गा की सुबह-शाम आरती करते हैं। कई जगहों पर नवरात्रि में गरबा और नृत्य का भी आयोजन किया जाता है। नवरात्रि को स्त्री शक्ति का उत्सव भी कहा जाता है जो समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। यह त्योहार मां दुर्गा के राक्षस महिषासुर पर विजय के उद्देश्य में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कई लोग इसमें अपने शरीर और मन की शुद्धि करने के लिए उपवास रखते हैं और पूजा अनुष्ठान करते हैं। यही नहीं इस त्योहार को शरद ऋतु के फसल की शुरुआत का प्रतीक भी कहा जाता है। तो आइए, इस मौके पर जानतें हैं नवरात्रि से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

नवरात्रि मनाने का इतिहास

विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां साल में दो बार स्त्री शक्ति की पूजा होती है। नवरात्र या नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख पर्वों में से एक है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है "नौ रातों का समय"। नवरात्रि साल में चार बार माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन माह में आती है। इनमें से माघ और आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि आती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है। इन नौ रातों में शक्ति की पूजा-आराधना की जाती है और दसवें दिन विजयादशमी होती है जिसका अर्थ है जीत का दिन। यह दर्शाता है कि बुराई कितनी ही ताकतवर क्यों न हो, अंत में जीत अच्छाई की ही होती है। वसंत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के शक्ति का महत्वपूर्ण सम्बन्ध माना जाता है। इसलिए, इन दोनों विशेष समय पर मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते हैं।

नवरात्र के इन नौ दिनों में देवी के ये तीन रूपों दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को पूजा जाता है। जो लोग ताकत या शक्ति की इच्छा रखते हैं, वे मां दुर्गा की पूजा करते हैं। जो लोग धन या जुनून की इच्छा रखते हैं, वे मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वहीं जो लोग ज्ञान और परोपकार की सीमाओं के पार जाना चाहते हैं, वे मां सरस्वती की पूजा करते हैं।

क्या है नवरात्रि की पौराणिक मान्याताएं?

महिषासुर वध

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, जब महिषासुर के आतंक से सभी देवतागण परेशान हो गए तो वे सब त्रिदेव के पास पहुंचे। तब त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं ने आदिशक्ति का आह्वान किया क्योंकि, उसकी मृत्यु केवल एक स्त्री के हाथों से ही निश्चित की गई थी। महिषासुर के अंत के लिए त्रिदेवों के तेज से मां दुर्गा की उत्पत्ति हुई जिन्हें महिषासुर मर्दिनी कहा गया। फिर देवताओं से अस्त्र-शस्त्र की शक्तियां पाकर मां दुर्गा ने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा। यह युद्ध पूरे नौ दिनों तक चला था और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर असुरी शक्तियों का विनाश किया था। ऐसा माना जाता है कि, वह समय आश्विन माह का था। इसलिए हर साल आश्विन माह में नौ दिनों तक नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

भगवान श्रीराम से जुड़ा नवरात्रि का इतिहास

इसी तरह एक और कथा के मुताबिक, इस नौ दिन के पर्व को मनाए जाने की कथा श्रीराम से भी जुड़ी है। जिसके मुताबिक जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था, तब रावण से लड़ाई में विजय प्राप्त करने और माता सीता को छुड़ाने के लिए भगवान राम ने पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा का अनुष्ठान किया था। जिसके बाद दवसें दिन मां दुर्गा ने प्रकट होकर भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। इसी आशीर्वाद से श्रीराम ने दसवें दिन रावण का वध किया और माता सीता को वापस लाए। जिसके बाद से नवरात्रि मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई। इसलिए दसवें दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। यह त्योहार लोगों को आध्यात्मिक रूप से भी जागृत करने और उन्हें मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के महत्व को बताता है।

Created On :   1 Oct 2024 5:39 PM IST

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