सीरिया में फिर तनाव: अलेप्पो शहर में एक बार फिर विद्रोही गुट का देखने को मिला रहा कहर, सड़क और एयरपोर्ट किए गए बंद, एक्शन में सीरियाई प्रशासन
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- अलेप्पो शहर इस्लामिक संगठन HTS का आतंक
- 40 से ज्यादा सैन्य अड्डों पर इन विद्रोही गुटों का कब्जा
- एक्शन में आई सीरियाई शासन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीरिया के अलेप्पो शहर में इस्लामिक संगठन हयात तहरीर अल शाम (HTS) ने हमला किया है। साथ ही, उसने यहां आम नागरिकों की भी हत्या की है। आठ साल पहले भी यहां पर इस्लामिक कट्टरपंथी गुट ने कत्लेआम मचाया था। जिसके बाद अब एक बार फिर उसने अलेप्पो शहर को टारगेट किया है। मामले की गंभीरता देखने हुए सीरिया की बशर अल असद सरकार ने अलेप्पो की सड़कों और एयरपोर्ट को बंद कर दिया है। साल 2016 में अलेप्पो से सीरिया की सेना ने विद्रोहियों को खदेड़ा था। तब अचानक विद्रोही शहर के केंद्र तक घुस गए थे। जिसके बाद इलाके को कब्जा कर लिया।
आधे शहर पर कब्जा- विद्रोही गुट
इस बार विद्रोही गुट एक बार फिर पूरी ताकत के साथ अलेप्पो शहर पर हमला किया है। जिसके चलते असद सरकार की सेना भी उसके सामने कमजोर दिखाई दे रही है। ऐसे में सीरिया को भरोसा रहता था कि ईरान और रूस उसे इन बाधाओं से बाहर निकालेगा। लेकिन इस बार की स्थिति काफी अलग है। ईरान इजराइल के खिलाफ और रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने में व्यस्त है। जिसका फायदा उठाकर अब विद्रोहियों ने हमला किया है। इस्लामिक कट्टरपंथी गुट एचटीएस ने दावा किया है कि उसने आधे से ज्यादा अलेप्पो शहर पर कब्जा कर लिया है। सीरिया साल 2011 से ही गृह युद्ध की मार झेलता आ रहा है।
सीरियाई शासन एक्शन में
जानकारी के मुताबिक, सीरियाई शासन को दो दिनों के भीतर गोला-बारूद और हथियारों की मदद मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक, असद प्रशासन ने सेना को विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इधर, सीरिया की दिक्कत यह भी है कि तुर्की इन विद्रोहियों के साथ खड़ा है। बता दें कि, अलेप्पो सीरिया की सांस्कृतिक और आर्थिक राजधानी के तौर पर जाना जाता है। ऐसे में अब यहां पैदा हुए हालात मध्य एशिया में तनाव की एक नई वजह बन सकता है।
40 से ज्यादा सैन्य अड्डों पर इन विद्रोही गुटों का कब्जा
सीरिया में विद्रोही गुटों ने आतंक मचा रखा है। देश की 40 से ज्यादा सैन्य अड्डों पर इन विद्रोही गुटों का कब्जा है। साल 2011 में अरब क्रांति के चलते सीरिया में गृह युद्ध की स्थिति पैदा हुई थी। बशर अल असद के साथ के साथ लोकतंत्र के समर्थकों ने साल 2000 में ही विरोध शुरू कर दिया था। फ्री सीरियन आर्मी नाम के विद्रोही गुट ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसमें अमेरिका, रूस, ईरान और सऊदी अरब में भी शामिल हो गए। इसके बाद आतंकी संगठन आईएसआईएस ने भी पैर पसारे। इसके बाद सीरिया में एक दशक तक गृह युद्ध जारी रहा। जिसमें 3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इसके बाद 2020 में सीजफायर का समझौता हुआ।
Created On :   30 Nov 2024 5:15 PM IST