संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन-रूस युद्ध के खिलाफ प्रस्ताव पास, यूक्रेन के पक्ष में हुई वोटिंग, भारत ने नहीं लिया हिस्सा
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- प्रस्ताव 141-7 के साथ महासभा में पारित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुई जंग को आज एक साल पूरा हो गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में गुरूवार देर रात यूक्रेन में शांति को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया, जो कि दो तिहाई बहुमत के साथ पास हुआ। इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 देशों ने वोट किया। जबकि 7 देशों ने इसके विरोध में वोट किया। विरोध में वोट करने वाले देश थे - बेलारूस, नॉर्थ कोरिया, सीरिया, माली, रूस, इरीट्रिया और निकारागुआ। इसके साथ ही रूस के सहयोगी देश बेलारूस ने इसमें संसोधन के लिए प्रस्ताव दिया था। जिसे किसी का समर्थन नहीं मिला और वह बुरी तरह गिर गया।
भारत ने नहीं लिया हिस्सा
प्रस्ताव पर वोटिंग करने से भारत ने किनारा कर लिया। भारत के साथ पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन के साथ दुनिया के 32 देशों ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। अपने मित्र राष्ट्रों की सहायता से बनाया गया यूक्रेन यह प्रस्ताव 141-7 के साथ महासभा में पारित हुआ। बता दें कि यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सपोर्ट में लाए गए इस प्रस्ताव को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में जोरदार बहस हुई। प्रस्ताव पर 75 से अधिक देशों के विदेश मंत्रियों व राजनेताओं ने संबोधित किया। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जर्मनी की विदेश मंत्री ने महासभा को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में उन देशों से सवाल पूछा जो यह दावा करते हैं कि पश्चिमी देश युद्ध को भड़काने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "पश्चिम युद्ध नहीं चाहता। इसके बजाय अपनी सारी ऊर्जा और धन स्कूलों को ठीक करने, जलवायु संकट से लड़ने या सामाजिक न्याय को मजबूत करने पर केंद्रित करना चाहता है, लेकिन सच्चाई यह है कि यदि रूस लड़ना बंद कर देता है, यह युद्ध समाप्त हो जाएगा। यदि यूक्रेन लड़ना बंद कर देता है, तो यूक्रेन समाप्त हो जाएगा।"
प्रस्ताव के पास होने के बाद यूक्रेन और रूस के राजनयिकों का भी बयान आया। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्वीट किया कि, यह यूक्रेन के लिए वैश्विक समर्थन का सबूत है। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने भी प्रस्ताव पास होने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा "समर्थन बहुत व्यापक है और यह मजबूत होना जारी रहेगा। यह वोट इस तर्क को खारिज करता है कि ग्लोबल साउथ यूक्रेन के पक्ष में नहीं खड़ा है क्योंकि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया का प्रतिनिधित्व करने वाले कई देशों ने आज पक्ष में मतदान किया।"
वहीं संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत दमित्री पोलांस्की ने इसे बेकार बताते हुए सिरे से खारिज किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रस्ताव शांति नहीं लाएगा, बल्कि इससे जंग भड़काने वालों के हौसले बढेंगे।
युद्ध के एक साल पूरे
बीते साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर युद्ध की शुरूआत की थी। आज इस जंग को एक साल पूरे हो गए हैं लेकिन अभी भी यह रुकने का नाम ले रही है। युद्ध में रूस के मुकाबले यूक्रेन को ज्यादा नुकसान हुआ है। यहां के हजारों लोग अब तक मारे जा चुके हैं। ऐतिहासिक इमारतें खंडहर बन चुकी हैं। लोगों के आशियाने उजड़ गए हैं उन्हें अपनी जान बचाने के लिए जमीन के अंदर बने बंकरों में रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है। रूसी सेना ने देश के अंदर घुसकर यहां के पॉवर प्रोजेक्टों पर या तो अपना कब्जा जमा लिया है या फिर उन्हें नष्ट कर दिया है जिससे यहां रहने वाले लोगों को बिजली और पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। स्कूल और कॉलेज बंद होने की वजह से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक रूसी हमले में यूक्रेन के करीब 2.5 हजार स्कूल और 1.5 लाख घर तबाह हो चुके हैं। वहीं इस युद्ध का असर वैश्विक स्तर पर भी पड़ा है। युद्ध के चलते दुनिया भर में खाद्य व ईधन की कीमतें आसमान छू रही हैं।
जंग के एक साल पूरा होने पर आज दुनिया के कई देशों में यूक्रेन के समर्थन में प्रदर्शन हुए। ब्रिटेन, फ्रांस से लेकर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में लोगों ने अलग-अलग तरीकों से यूक्रेन और वहां के लोगों के प्रति अपना समर्थन जताया। बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में सड़क पर खिलौने और टेडी रखकर यूक्रेनी बच्चों को समर्थन दिया गया। दरअसल, ये टेडी उन बच्चों प्रतीक थे, जिन्हें जबरदस्ती रूस भेज दिया गया था। ब्रिटेन की राजधानी लंदन में लोगों ने यूक्रेन के झंडे के साथ प्रदर्शन कर जंग झेलते लोगों को समर्थन दिया। ऑस्ट्रेलिया में लोगों ने एक साल से जंग झेल रहे यूक्रेन की जनता के समर्थन में रैली निकाली।
Created On :   24 Feb 2023 11:40 AM IST