चीन की घेराबंदी: चीन के दुश्मन वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल देगा भारत, रूस की हरी झंडी

चीन की घेराबंदी: चीन के दुश्मन वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल देगा भारत, रूस की हरी झंडी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से जारी विवाद के बीच रूस ने भारत को ब्रह्मोस मिसाइल के निर्यात की छूट दे दी है। जानकारी अनुसार रूस सरकार ने भारत के साथ संयुक्त रूप से बनाई गई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को किसी तीसरे देश को निर्यात करने की अनुमति भारत को दे दी है। इसके साथ ही रूसी सरकार ने 100 ऐसी रक्षा कंपनियों की सूची भी जारी की है जो भारत के साथ ब्रह्मोस जैसे संयुक्त उपक्रम लगा सकेंगी। 

बता दें कि भारत और रूस के रिश्ते हमेशा से अच्छे और मजबूत रहे हैं। दोनों ही देश एक दूसरे की मदद के लिए खड़े रहते हैं। रक्षा और सैन्य क्षेत्र से लेकर कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत और रूस के बीच बेहतर संबंध हैं। रूस का भारत को ब्रह्मोस मिसाइल के निर्यात की छूट देना इसका ताजा उदाहरण है।

इसलिए रूस की अनुमति जरूरी
बता दें कि हाल ही में वियतनाम ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की इच्छा जताई थी। तब रूस की वजह से भारत ऐसा नहीं कर पाया, क्योंकि 50-50 प्रतिशत की साझेदारी में विकसित ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़े किसी भी फैसले के लिए रूस की सहमति जरूरी है। अब जब रूस ने अपनी सहमति दे दी है, तो इस सौदे के पूरे होने की उम्मीद बढ़ गई है। 

चीन के पड़ोस में तैनात होगी मिसाइल
हाल के दिनों में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर संघर्ष बढ़ा है। चीन के उसके पड़ोसी देश वियतनाम के साथ भी रिश्ते अच्छे नहीं हैं। ऐसे में चीन के पड़ोसी देश वियतनाम ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश एयर डिफेन्स सिस्टम खरीदने की इच्छा जताई है। रूस ने ब्रह्मोस मिसाइल के निर्यात की अनुमति दे दी है तो अब ऐसे में इस सौदे की आगे बढ़ने की संभावना भी बढ़ गई है। अगर ये समझौता हुआ तो ब्रह्मोस मिसाइल चीन के पड़ोस में तैनात हो जाएगी। 

5 अरब डॉलर का निर्यात करेगा भारत
भारत को इस अनुमति के बाद अगले 5 साल में 5 अरब डॉलर के निर्यात के लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेंगी। ब्रह्मोस के एक अधिकारी ने मॉस्को से बताया कि संयुक्त उपक्रम के उत्पाद निर्यात करने के अनुमति का कदम भारत-रूस के रिश्ते और रक्षा सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाएगा। इससे दोनों ही देशों को बहुत लाभ होगा। यह दोनों देशों की रक्षा और आर्थिक सहायता करेगा।

Created On :   28 Aug 2020 12:47 AM IST

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