सर्वोच्च नागरिक सम्मान: अलगाववादी नेता सैयद गिलानी को मिला 'निशान-ए-पाकिस्तान', कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा के हालात के आरोपी

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को स्वतंत्रता दिवस पर सर्वोच्च नागरिक सम्मान "निशान-ए-पाकिस्तान" से नावजा है। 90 साल के सैयद अली शाह गिलानी ने हाल ही में अलगाववादी संगठनों से खुद को अलग करते हुए रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी। अब पाकिस्तान ने उन्हें सम्मानित किया है। गिलानी कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा के हालात के लिए आरोपी लोगों में शामिल है। गिलानी के ऊपर साल 2016 में हुई कश्मीर हिंसा के बाद टेरर फंडिंग के चार्ज भी लगे थे।
Hurriyat Leaders receiving Nishan-e-Pakistan Award on behalf of Syed Ali Shah Gilani from President of Pakistan, Dr. Arif Alvi, at Aiwan-e-Sadr. pic.twitter.com/HoBjTZowJF
— The President of Pakistan (@PresOfPakistan) August 14, 2020
गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने का प्रस्ताव पाकिस्तानी सीनेटर मुश्ताक अहमद दिया था, जिसके बाद सर्वसहमति से ये प्रस्ताव पाकिस्तान की सदन से पास हो गया था। पाकिस्तान का यह सबसे बड़ा सिविलियन अवॉर्ड है। जम्मू कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों के लिए गिलानी को ये अवॉर्ड दिया गया है। पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गिलानी की ओर से यह पुरस्कार इस्लामाबाद में स्थानीय हुर्रियत नेताओं ने लिया। पाकिस्तान में गिलानी के नाम से एक यूनिवर्सिटी भी बनाई जाएगी।
पिछले साल अप्रैल में सैयद अली शाह गिलानी पर आयकर विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली की संपत्ति को सीज कर दिया था। आयकर विभाग के अधिकारियों ने दिल्ली के मालवीय नगर के खिड़की एक्सटेंशन स्थित प्रॉपर्टी को सीज कर दिया था। विभाग के कर वसूली अधिकारी (टीआरओ) ने 1996-97 से लेकर 2001-02 के बीच गिलानी द्वारा ₹3.62 करोड़ आयकर का भुगतान करने में विफल रहने पर इस घर को सील किया था।
हाल ही में गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) से इस्तीफा दिया था। हाउस अरेस्ट के दौरान उन्होंने APHC के सदस्यों से संपर्क करने की पूरी कोशिश की, जिन्हें 5 अगस्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया गया था, लेकिन किसी ने भी जवाब नहीं दिया। गिलानी ने कहा, APHC के सभी मेंबर अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा, बुढ़ापे और शारीरिक कमजोरी ने न तो मेरी स्पिरिट कम हुई है और न ही मेरी मानसिक क्षमताएं। जब तक मैं मर नहीं जाता, तब तक मैं हमेशा अपने लोगों का मार्गदर्शन करता रहूंगा।
पाकिस्तान से खुफिया रिश्तों के लिए गिलानी को जेल हो चुकी है। 1972 में गिलानी ने जमात-ए इस्लामी जम्मू-कश्मीर के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीता था। अभी गिलानी की उम्र 90 साल है। उनकी सेहत पिछले कुछ महीनों से ठीक नहीं चल रही। कहा जाता है कि उन्हें हार्ट, किडनी और लंग्स में दिक्कत है। फरवरी में उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। कई बार उनकी तबीयत को लेकर अफवाहें भी उड़ाई गई थीं। गिलानी लंबे समय से अपने घर में ही नजरबंद हैं।
Created On :   14 Aug 2020 5:59 PM IST