इमरान खान ने पीटीआई के बागी सांसदों पर ताउम्र बैन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

Imran Khan moves Supreme Court for life ban on PTI rebel MPs
इमरान खान ने पीटीआई के बागी सांसदों पर ताउम्र बैन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
पाकिस्तान इमरान खान ने पीटीआई के बागी सांसदों पर ताउम्र बैन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
हाईलाइट
  • कहा-पार्टी के असंतुष्ट सदस्यों को आजीवन प्रतिबंधित नहीं किए जाने का कोई कारण नहीं है

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेशनल असेंबली के असंतुष्ट सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, याचिका में पाकिस्तान के चुनाव आयोग, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष, कानून सचिव और कैबिनेट सचिव को पार्टियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और इसे संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत दायर किया गया है। संविधान का हवाला देते हुए कहा गया है कि शीर्ष अदालत को सार्वजनिक महत्व के किसी मामले और संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकारों का हनन होने पर दखल देने का अधिकार है।

याचिका में अनुरोध किया गया है कि असंतुष्ट पीटीआई सदस्यों को जीवनभर के लिए संसदीय मामलों से अयोग्य घोषित कर दिया जाए और यदि कोई सदस्य पार्टी छोड़ना चाहता है तो उन्हें संविधान के अनुच्छेद 63-ए के अनुसार दलबदल करने के बजाय पहले नेशनल असेंबली के सदस्य पद से इस्तीफा देना होगा।

इसमें कहा गया है कि वफादारी बदलने का मतलब है कि व्यक्ति अब सादिक और अमीन (सच्चा और ईमानदार) नहीं रहा।

याचिका में आगे कहा गया है कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में पीटीआई के असंतुष्ट सदस्यों द्वारा डाले गए वोटों की गिनती नहीं की जानी चाहिए थी।

याचिका में लिखा है, एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते (यह) संवैधानिक रूप से निषिद्ध और नैतिक रूप से दलबदल (उनके संसदीय दल के खिलाफ) से बचना है, और सदस्य अपने वोट की गिनती के निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकता .. और ऐसे दागी वोटों को गिनती से बाहर रखा जाना चाहिए था।

इसने कहा कि पार्टी के असंतुष्ट सदस्यों को आजीवन प्रतिबंधित नहीं किए जाने का कोई कारण नहीं है।

याचिका में कहा गया है, इस माननीय अदालत ने कई मामलों में देखा है कि दलबदल या फ्लोर क्रॉसिंग राजनीति के पूरे शरीर के लिए कैंसर की बीमारी से कम नहीं है और यह लोकतांत्रिक शासन की भावना को नष्ट कर देता है।

(आईएएनएस)

Created On :   14 April 2022 9:00 PM IST

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