अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद भी रूस को कौन पहुंचा रहा है ड्रोन? निर्माता कंपनियों को भी इस बात की भनक नहीं
- ड्रोन बना घातक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध में ज्यादातर हमले ड्रोन के माध्यम से किए जा रहे हैं। भले ही बाइडेन प्रशासन ने रूस में ट्रांसफर हो रहे ड्रोन टेक्नोलॉजी को लेकर कड़े प्रतिबंध लगाए थे लेकिन अमेरिका का यह कदम सफल साबित नहीं हो पाया है। इसके पीछे की बड़ी वजह रूस को चीन से ड्रोन सप्लाई बताया जा रहा है। अब तक चीन ने रूस को 12 मिलियन डॉलर से ज्यादा के ड्रोन दे चुका है।
रूस के कस्डम डेटा के मुताबिक, चीन ने रूस को सबसे ज्यादा ड्रोन सप्लाई किया है। अमेरिका की मुश्किले इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि चीनी ड्रोन में अमेरिकी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल किए जाने की संभावनाएं हैं। डीजेआई ड्रोन बनाने के क्षेत्र में नामी कंपनी है। लेकिन यहां पर दिक्कत यह है कि ड्रोन सप्लाई करने वाले निर्माताओं को भी यह मालूम नहीं है कि अमेरिका के कंपोनेंट चीन से रूस भेजे जा रहे हैं या नहीं। ऐसे में यदि यह संभव होता तो अमेरिका इस पर रोक लगा देता।
ड्रोन बना घातक
खबर है कि, चीन सीधे तौर रूस को ड्रोन सप्लाई नहीं कर रहा है बल्कि इसके लिए वह अपने मित्र देशों का सहारा लेता है। पाकिस्तान, कजाकिस्तान और बेलारूस जैसे देशों के रास्ते चीन रूस को ड्रोन पहुंचाने का काम कर रहा है। युद्ध के दौरान विस्फोटक पदार्थ को ड्रोन के साथ लैस किया जाता है। इसकी मदद से युद्ध क्षेत्रों में टारगेटेड किलिंग किया जाता है। गौरतलब है कि पिछले रविवार को यूक्रेन के सैनिकों ने चीन में बने mugin-5 ड्रोन को एके-47 की मदद से ढेर कर दिया। शियामेन की कंपनी म्युजिन लिमिटेड ने भी इस बात की पुष्टि की है कि यूक्रेन में तबाह हुए ड्रोन उनका है। साथ ही उन्होंने इस घटना को दुर्भागपूर्ण बताया है। तबाह हुए ड्रोन में 20 किलोग्राम का (dumb bomb) बम भी शामिल था। गनीमत रही कि ड्रोन में कैमरा फिट नहीं था। वरना ड्रोन में लदे बम के जरिए टारगेटड क्षेत्र में बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता था।
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रूस के दौरे पर चीनी राष्ट्रपति
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इन दिनों रूस दौरे पर गए हुए हैं जबकि चीन का प्रतिद्वंद्वी जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भारत से सीधा यूक्रेन पहुंच गए हैं। दोनों देश एक दूसरे को यह संदेश देने में लगे हुए हैं कि हम इस लड़ाई में एक दूसरे के खिलाफ हैं। विदेश मामलों के जानकार कहते हैं कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष हमेशा से ही एक दूसरे के काफी बड़े प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, जहां दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्ति चीन है तो वहीं जापान भी हर तरह के मोर्चे पर खुद को स्थापित कर चुका है और आने वाले समय में चीन को पीछे छोड़ने की पूरी प्लानिंग कर रहा है। इसी बीच दोनों देशों के प्रमुख नेताओं का यह दौरा काफी कुछ दर्शाता है।
Created On :   22 March 2023 4:45 PM IST