सेना और खुफिया एजेंसियों की आलोचना करने पर 2 दर्जन पत्रकारों पर मुकदमा

2 dozen journalists sued for criticizing the army and intelligence agencies
सेना और खुफिया एजेंसियों की आलोचना करने पर 2 दर्जन पत्रकारों पर मुकदमा
पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसियों की आलोचना करने पर 2 दर्जन पत्रकारों पर मुकदमा
हाईलाइट
  • पाकिस्तान में दो दर्जन पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में पिछले दो वर्षो में लगभग दो दर्जन पत्रकारों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं और उनमें से अधिकांश पर इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण अधिनियम (पीईसीए) के तहत मुकदमा चलाया गया है। द न्यूज ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में बताया कि पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर शुरू किए गए फ्रीडम नेटवर्क की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रीडम नेटवर्क 2021 इंप्यूनिटी रिपोर्ट पाकिस्तान में पत्रकारों और सूचना प्रैक्टिशनरों के सामने आने वाली चुनौतियों, पीईसीए के तहत अधिकारियों द्वारा सत्ता के मनमाने प्रयोग और न्याय प्रणाली की प्रतिक्रिया के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

धारा 20, जिसमें ऑनलाइन मानहानि का अपराधीकरण निर्धारित किया गया है और तीन साल की जेल की सजा और दस लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है, पत्रकारों के खिलाफ पीईसीए की सबसे अधिक बार लागू की जाने वाली धारा है। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कहा गया है, पीईसीए के तहत पत्रकारों के खिलाफ सबसे आम शिकायत सेना और खुफिया एजेंसियों से संबंधित राय व्यक्त करना या उनकी आलोचना करना है। आम तौर पर आलोचना - चाहे वह कार्यपालिका (नागरिक और सैन्य दोनों) या न्यायपालिका के खिलाफ हो, पीईसीए कानून के तहत पत्रकारों के खिलाफ सबसे अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं। शिकायत की मुख्य प्रकृति कथित मानहानि है।

जिन पर गंभीर आरोपों के साथ मुकदमें दर्ज किए गए हैं, उनमें अधिकांश पत्रकार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से हैं। फ्रीडम नेटवर्क के कार्यकारी निदेशक इकबाल खट्टक ने कहा कि पाकिस्तानी पत्रकार स्वतंत्र समाचारों और आलोचनात्मक टिप्पणियों को साझा करने के लिए ऑनलाइन स्पेस का तेजी से उपयोग कर रहे हैं, जिन्हें पारंपरिक मीडिया पर दबाया जाता है। उन्होंने कहा, हमने कानूनी रूप से या पत्रकारों के खिलाफ समन्वित डिजिटल अभियानों के माध्यम से ऑनलाइन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करने के प्रयासों में एक समान वृद्धि देखी है। रिपोर्ट इस बात का सबूत देती है कि पीईसीए हाल के वर्षो में पाकिस्तानी पत्रकारों को डराने और चुप कराने के लिए प्राथमिक कानूनी साधन के रूप में उभरा है, क्योंकि यह ऑनलाइन अभिव्यक्ति को दबा रहा है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष 23 पत्रकारों और सूचना प्रैक्टिशनरों के मामलों के विश्लेषण पर आधारित हैं, जिन्हें या तो पीईसीए के तहत संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) द्वारा नोटिस भेजा गया था या 2019-21 की अवधि के दौरान उसी कानून के तहत आरोप लगाए गए थे। विश्लेषण इन पत्रकारों और सूचना प्रैक्टिशनरों द्वारा प्रदान किए गए डेटा पर किया गया है। विश्लेषण में पाया गया कि 56 प्रतिशत पत्रकारों और सूचना प्रैक्टिशनरों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, जो 2012 और 2019 के बीच पीईसीए की रडार में आए थे। जिन व्यक्तियों पर औपचारिक रूप से आरोप लगाया गया था, उनमें से लगभग 70 प्रतिशत को गिरफ्तार किया गया था और उनमें से आधे पत्रकारों को हिरासत में प्रताड़ित किया गया था।

(आईएएनएस)

Created On :   2 Nov 2021 11:30 PM IST

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