न्यायपालिका: न्यायिक प्रक्रिया में कार्यपालिका का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा-सीजेपी
- इस्लामाबाद हाईकोर्ट के छह न्यायाधीशों ने किए चौंकाने वाले खुलासे
- सीजेपी ने न्यायपालिका की पवित्रता की पुष्टि की
- किसी भी परिस्थिति में न्यायाधीशों की स्वायत्तता से समझौता नहीं
डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने बुधवार को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर किसी भी हमले को विफल करने का संकल्प व्यक्त करते हुए संकेत दिया कि शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों द्वारा न्यायिक मामलों में कथित हस्तक्षेप के मामले की सुनवाई अदालत की एक पूर्ण पीठ करेगी। खबरों के मुताबिक सीजेपी का यह बयान सुप्रीम कोर्ट में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात के बाद दिया, जिसमें संघीय कानून मंत्री आजम नजीर तरार और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) मंसूर उस्मान अवान भी शामिल हुए।
न्यायिक प्रक्रियाओं में खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप का दावा करने वाले न्यायाधीशों द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद , पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा ने न्यायपालिका की पवित्रता की पुष्टि करते हुए घोषणा की कि किसी भी परिस्थिति में न्यायाधीशों की स्वायत्तता से समझौता नहीं किया जाएगा।
न्यायिक कार्यवाही में खुफिया एजेंसियों के कथित हस्तक्षेप के संबंध में इस्लामाबाद हाईकोर्ट के छह न्यायाधीशों ने चौंकाने वाले खुलासे किए। कुछ ही दिन पहले न्यायाधीशों ने एक खुला चिट्ठा भी लिखा था। जिसमें अदालती कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए खुफिया एजेंसियों द्वारा अपनाई गई जबरदस्त रणनीति का ब्यौरा दिया गया था।
स्थिति की गंभीरता पर सीजेपी ने त्वरित एक्शन लेते हुए एक हाईलेवल परामर्श कमेटी का फैसला लिया। जिसका समापन आज प्रधानमंत्री के साथ बैठक में हुआ। सीजेपी ईसा ने कानून के शासन को बनाए रखने और लोकतंत्र को मजबूत करने में एक स्वतंत्र न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी न्यायिक स्वायत्तता की अपरिहार्य प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए, न्यायाधीशों के मामलों और कामकाज में कार्यकारी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
Created On :   3 April 2024 11:56 AM GMT