क्या इस लड़की ने मुस्लिम समुदाय विरोधी स्लोगन वाला प्लेकार्ड पकड़ा है? जानिए वायरल हो रही तस्वीर की सच्चाई

Did this girl hold a placard with an anti-Muslim slogan? Know the truth of the picture going viral
क्या इस लड़की ने मुस्लिम समुदाय विरोधी स्लोगन वाला प्लेकार्ड पकड़ा है? जानिए वायरल हो रही तस्वीर की सच्चाई
फैक्ट चैक क्या इस लड़की ने मुस्लिम समुदाय विरोधी स्लोगन वाला प्लेकार्ड पकड़ा है? जानिए वायरल हो रही तस्वीर की सच्चाई

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है। फोटो में एक लड़की अपने हाथों में एक प्लेकार्ड पकड़ी है जिसमें मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए एक स्लोगन लिखा है। प्लेकार्ड पर लिखा है, “हम 10-10 रुपये जोड़कर घर बनाने की सोच रहे हैं और वे 10-10 पैदा करके हमारे घर पर कब्जा करने की सोच रहे हैं”। 

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्मों पर वायरल फोटो खूब वायरल हो रही है। जहां कई लोग इस फोटो के समर्थन में बोल रहे हैं तो वहीं कई लोग विरोध में। कहा जा रहा है कि इस फोटो के जरिए लड़की ने मुस्लिम समाज पर तंज कसा है। 

पड़ताल - हमने वायरल फोटो की असलियत जानने के लिए उसकी पड़ताल शुरु की। वायरल फोटो के बारे में जानकारी एकत्रित करने के लिए हमने इसको रिवर्स सर्च किया। सर्च करने पर हमें यह फोटो एक फेसबुक पेज पर मिली। "पोजेक्ट अनब्रेकबल" नाम के इस फेसबुक पेज पर इस फोटो को 23 मार्च 2013 को पोस्ट किया गया था। 

फेसबुक पेज पर मिली फोटो में इस लड़की ने जो प्लेकार्ड अपने हाथों में पकड़ा है, उसमें लिखा है, ‘आई कांट रिमेंबर वॉट हैपेंड’ । मतलब, "मुझे याद नहीं क्या हुआ था।" इस प्लेटकार्ड में कहीं भी मुस्लिम समुदाय के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है। इसके साथ ही फोटो के कैप्शन में ‘चेतावनी: बलात्कार/यौन उत्पीड़न, 18 अक्टूबर को ली गई तस्वीर’  लिखा है। साथ में एक लिंक दी गई है जो कि टंबलर वेबसाइट में इस प्रोजेक्ट के पेज का है। इस पेज पर विजिट करने पर हमें वहां भी वायरल फोटो मिली।

बता दें कि  प्रोजेक्ट अनब्रेकेबल प्रोजेक्ट यूएस की रहने वाली एक महिला फोटोग्राफर ग्रेस द्वारा शुरु किया गया था। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ग्रेस ने उन लोगों की तस्वीरें इकठ्ठी की थीं। जो बलात्कार और यौन उत्पीड़न से पीड़ित थे। इन तस्वीरों में विक्टिम या पीड़ित अपने पीड़ा को प्लेकार्ड पर लिख कर बयां करते थे।

हफपोस्ट की रिपोर्टस के अनुसार, दुनिया के तकरीबन 2 हजार लोगों ने फोटोग्राफर को अपनी फोटो भेजी थीं। 

हमारी पड़ताल से साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल फोटो अभी की नहीं बल्कि पुरानी है जिसे 2013 में सोशल मीडिया प्लेटफार्मस पर पोस्ट किया गया था।  उस फोटो को एडिट करके मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए अब शेयर किया जा रहा है। 

Created On :   25 July 2022 11:48 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story