क्रिकेट: युवराज ने टीम इंडिया के बल्लेबाजी कोच पर उठाए सवाल, बोले- जिसने खुद टी-20 फॉर्मेट में नहीं खेला, वो कैसे क्रिकेटरों की मदद करेंगे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारतीय टीम को एक मनोवैज्ञानिक की जरूरत है, जो युवा खिलाड़ियों का ध्यान रख सके, खासकर युवा ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ियों का। युवराज ने कहा कि टीम में उस इंसान की कमी है, जो जरूरत पड़ने पर खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर मदद कर सके। उन्होंने कहा, इस टीम में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है, जो टीम के साथियों से मानसिकता को लेकर बात कर सके। पृथ्वी शॉ और पंत काफी प्रतिभशाली हैं, लेकिन काफी चौकसी और मीडिया होने के कारण आपको कोई चाहिए होता है, जिससे आप बात कर सको।
टीम को एक अच्छे मनोवैज्ञानिक की जरूरत
पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी ने कहा, टीम को एक अच्छे मनोवैज्ञानिक की जरूरत है, लेकिन उनका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, पांड्या में काफी प्रतिभा है। किसी को उनकी मानसिकता के साथ काम करने की जरूरत है, ताकि वह मुश्किल स्थिति में अच्छा कर सकें। अगर कोई उनकी मानसिकता के साथ काम कर सकता है, तो वह अगले विश्व कप में काफी बड़े खिलाड़ी साबित हो सकते हैं।
शास्त्री के मार्गदर्शन में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है
युवराज ने टीम के मौजूदा कोच रवि शास्त्री के बारे में कहा, शास्त्री के मार्गदर्शन में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है। टीम ऑस्ट्रेलिया में जीती। एक कोच के तौर पर वो कैसे मैं नहीं जानता। मैं उनके मार्गदर्शन में कम ही खेला हूं। मैं जानता हूं कि आप हर खिलाड़ी के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं कर सकते। हर खिलाड़ी के साथ तरीके अलग होते हैं और मैं इस कोचिंग स्टाफ में वो नहीं देखता।
विक्रम राठौर ने खुद टी-20 फॉर्मेट में नहीं खेला, वो कैसे क्रिकेटरों की मदद करेंगे
युवराज ने कहा, आपके पास बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर हैं। वह मेरे सीनियर रहे हैं। जब मैं राज्य के लिए खेल रहा था तो कई बार मेंटॉर भी रहे, लेकिन पूरे सम्मान के साथ अगर किसी ने लंबे समय तक उस स्तर की क्रिकेट नहीं खेली है और ऐसे में युवा पीढ़ी जो टी-20 तथा छोटे प्रारूप की आदि है.. आप उन्हें क्या बताएंगे? वह उन्हें तकनीक बताएंगे, लेकिन कोई उनसे मानसिक पक्ष पर बात करने के लिए नहीं होगा।
चयनकर्ताओं के फैसलों को चुनौती देने वाला होना चाहिए
युवराज ने सुनील जोशी की अध्यक्षता वाली सीनियर चयन समिति को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि, चूंकि उन्होंने भारत के लिए ज्यादा क्रिकेट नहीं खेली है तो उनकी मानसिकता फैसलों को चुनौती देने वाली नहीं होगी। उन्होंने कहा, मैं हमेशा कहता हूं कि चयनकर्ताओं के फैसलों को चुनौती देने वाला होना चाहिए, लेकिन आपके चयनकर्ताओं ने सिर्फ चार-पांच मैच वनडे मैच खेले हों, तो उनकी मानसिकता उसी तरह की होगी। यह चीजें तब नहीं होती थी जब सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे। 2011 विश्व कप में हमारे पास अच्छी खासी अनुभवी टीम थी।
Created On :   13 May 2020 5:23 AM GMT