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Shahdol News: मेडिकल कॉलेज में 18 सोनोग्राफी मशीन पर चलाने के लिए एक भी डॉक्टर नहीं
- शासकीय बिरसामुंडा चिकित्सा महाविद्यालय
- मेडिकल कॉलेज में 18 सोनोग्राफी मशीन पर चलाने के लिए एक भी डॉक्टर नहीं
Shahdol News: शासकीय बिरसामुंडा चिकित्सा महाविद्यालय (मेडिकल कॉलेज) शहडोल में सोनोग्राफी के लिए 18 मशीनें हैं। पर इन्हें चलाने के लिए एक भी डॉक्टर नहीं है। नतीजा सभी मशीनें बेकार पड़ी है। इनमें कई मशीनें ऐसी है जो आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इन मशीनों को चलाने के लिए यहां एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं। आदिवासी बहुल शहडोल संभाग में मेडिकल कॉलेज संचालन में लापरवाही ऐसे भी समझी जा सकती है कि खाली पड़े पदों पर भर्ती के लिए दो साल में विज्ञापन नहीं निकला। मेडिकल कॉलेज के संचालन का यह पांचवा साल है। जानकर ताज्जुब होगा कि इस साल मार्च में जब पहला बैच यहां से निकलेगा तो उस बैच ने सोनोग्राफी मशीन चलाई ही नहीं होगी।
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सवाल: आखिर क्यों चले गए 50 डॉक्टर
मेडिकल कॉलेज प्रारंभ हुआ तो यहां 86 डॉक्टर थे, अब 36 ही बचे हैं। सबसे ज्यादा डॉक्टर एक साल पहले तक मेडिकल कॉलेज छोडक़र गए हैं। बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि 50 डॉक्टर आखिर क्यों चले गए। क्या मेडिकल कॉलेज में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। डॉक्टरों के लिए ऐसा माहौल तैयार नहीं हो पा रहा है कि वे यहां मन से ठहर सकें। मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमिक विभाग एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा। बायोकेमेस्ट्री, एनिस्थिसिया में एक डॉक्टर हैं। अब एक एनिस्थिसिया चौबीस घंटे ऑपरेशन चला तो कितने घंटे काम कर सकेगा। स्त्री रोग विभाग में तीन और शिशु रोग विभाग का संचालन दो डॉक्टरों के भरोसे ही चल रह है।
- रेडियोलॉजिस्ट भर्ती का विज्ञापन पूर्व में निकाले तो कोई आया नहीं। अब ईसी में हमने पास करवा लिया है। कोई सीधे भी यहां आकर सेवाएं देना चाहता है तो एनएचएम के प्रावधान अनुसार सेवाएं ले सकेंगे। डॉक्टर के अन्य पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाल रहे हैं।
डॉ. जीबी रामटेके
डीन मेडिकल कॉलेज शहडोल
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आम आदमी की पीड़ा : सोनोग्राफी की जरूरत पड़ी तो इलाज में चौबीस घंटे का विलंब
मेडिकल कॉलेज में दादी बबुलिया बाई को पेट दर्द का इलाज करवाने अनूपपुर जिले के कोतमा-निगवानी के समीप खोडरी गांव से लेकर पोता राहुल बहन दुर्गा के साथ मंगलवार को पहुंचे। सुबह 11.30 बजे डॉक्टर ने परीक्षण कर सोनोग्राफी करवाने की सलाह दी तो डॉक्टर की यही सलाह इनके लिए भारी पड़ गया। क्योंकि सोनोग्राफी का इंतजाम मेडिकल कॉलेज में नहीं है। इसके लिए इन्हें शहर में निजी सोनोग्राफी सेंटर जाना पड़ा। वहां सोनोग्राफी के एवज में एक हजार रूपए तो लगा ही रिपोर्ट अगले दिन मिली। ऐसे में ठहरने का इंतजाम नहीं होने के कारण होटल में रुकने पर आर्थिक क्षति भी हुई। बुधवार को राहुल और दुर्गा दादी बबुलिया बाई की सोनोग्राफी रिपोर्ट के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो डॉक्टर विलंब से मिले। रिपोर्ट परीक्षण के बाद ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं निकलने के बाद भी मेडिकल कॉलेज से बाहर निकलते दोपहर के 3.30 बज गए। इलाज में देरी के कारण गांव पहुंचने में रात हो जाएगी और देर शाम ठंड के कारण भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। बबुलिया बाई को सोनोग्राफी के कारण परेशानी इसलिए हुई क्योंकि मेडिकल कॉलेज में संचालन के चार साल बाद भी रेडियोलॉजिस्ट का इंतजाम नहीं हो सका। इसका नुकसान यह हो रहा है कि यहां सोनोग्राफी मशीन होने के बाद उसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है।
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सोनोग्राफी के लिए ऐसे परेशान होते हैं मरीज
>> मेडिकल कॉलेज बाजार से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। किसी मरीज को सोनोग्राफी की सलाह देने पर जिला अस्पताल व शहर में निजी सेंटर तक दौड़ लगानी पड़ती है।
>> प्रसव से पहले किसी प्रसूता को सोनोग्राफी की जरूरत पड़ जाने पर जिला अस्पताल व बाजार में सोनोग्राफी सेंटर तक पहुंचना बड़ी चुनौती साबित होती है। चार पहिया वाहन की सुविधा न हो तो सोनोग्राफी के लिए किराए पर लेना पड़ता है। कई बार जरूरतमंद मरीजों के परिजन इसी के लिए परेशान हो जाते हैं।
इन मामलों में भी सुधार की दरकार
मेडिकल कॉलेज में ओपीडी प्रारंभ होने के बाद भी कई डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते हैं। बुधवार को भास्कर की टीम यहां पहुंची तो सुबह के 11 बजे तक चर्म रोग विभाग व नाक-कान-गला विभाग खाली रहा। मरीज डॉक्टर का इंतजार करते रहे।
Created On :   6 Dec 2024 4:57 PM IST