फायर सेफ्टी: 15 दिन में सिर्फ 5 अस्पतालों का निरीक्षण, कमियां मिली तो नोटिस तक नहीं दिया, कामचलाऊ साबित हुआ कलेक्टर के निर्देश

15 दिन में सिर्फ 5 अस्पतालों का निरीक्षण, कमियां मिली तो नोटिस तक नहीं दिया, कामचलाऊ साबित हुआ कलेक्टर के निर्देश
  • 15 दिन में सिर्फ 5 अस्पतालों का निरीक्षण
  • कामचलाऊ साबित हुआ कलेक्टर के निर्देश
  • आगजनी के खतरे के बीच इलाज को विवश मरीज

डिजिटल डेस्क, शहडोल। शहर में संचालित अस्पतालों में फायर सेफ्टी मानकों का खुलेआम उलंघन हो रहा तो कलेक्टर के निर्देश पर जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया कामचलाऊ ही साबित हो रही है। कलेक्टर तरूण भटनागर ने 20 मई को अस्पतालों का निरीक्षण कर फायर सेफ्टी मानकों की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए तो टीम ने 15 दिन में सिर्फ 5 अस्पतालों का ही निरीक्षण किया। बड़ी बात यह है कि निरीक्षण में कमियां मिली तो कार्रवाई के बजाए अमला खाली हाथ लौट आया। नोटिस तक नहीं दिया। कामचलाऊ निरीक्षण और अधिकारियों की अनदेखी का असर यह हुआ कि एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी ज्यादातर अस्पताल में फायर सेफ्टी मानकों का उलंघन हो रहा है। यहां आगजनी के खतरे के बीच ही मरीज इलाज को विवश हैं।

फायर सेफ्टी मामले में तमाम कमियों के बाद धड़ल्ले से संचालन

इमरजेंसी में आग लगने पर बचाव के उपाय के मामले में तमाम कमियों के बाद भी अस्पताल का संचालन हो रहा है। नगर पालिका की टीम के निरीक्षण में सात दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी ज्यादातर अस्पताल में सुधार के प्रयास नाकाफी रहे हैं। अधिकारी सिर्फ यह कह रहे हैं कि दोबारा निर्देश हुआ तो देखने जाएंगे कि सुधार हुआ या नहीं। इस बीच अस्पतालों में कहीं नियमानुसार इमरजेंसी एक्जिट नहीं तो कहीं भवन में क्षमता अनुसार पानी की उपलब्धता का अभाव है। भीषण गर्मी के बीच राजकोट में गेम जोन में आग और दिल्ली में एसएनसीयू में आगजनी की घटना के बाद भी शहर में संचालित ज्यादातर अस्पतालों में सुधार के प्रयास नाकाफी है। लापरवाही का यह आलम तब है जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अस्पतालों में फायर सिस्टम को चुस्त दुरूस्त करने के निर्देश दिए हैं।

किस अस्पताल में क्या कमीं मिली

मेवाड़ अस्पताल-

जेडी से जारी फायर एनओसी नहीं, कंट्रोल पैनल में स्मोक सेंसर काम नहीं कर रहा था यानि धुआं उठने पर सायरन भी नहीं बजेगा। सेंसर ऑटोमेटिक और मैनुअली दोनों में काम नहीं कर रहा।

हातमी अस्पताल-

प्रापर फायर एक्जिट गेट का अभाव, इंटरनल एक्जिट भी मानकों के अनुसार नहीं। फायर और इलेक्ट्रिक मेंटेनेस रजिस्टर नियमानुसार नहीं।

आदित्य हास्पिटल-

स्केप फायर एक्जिट नहीं मिला। फायर इस्टिंग्यूशर सिलेंडर में कई एक्सपायरी मिले और फायर ऑडिट भी नहीं मिला। सिलेंडर की संख्या क्षमता के अनुरूप कम रही।

श्रीराम अस्पताल-

अलार्म सिस्टम काम नहीं कर रहा था। आग लगने से मरीजों को पता भी नहीं चलेगा। पानी की समस्या में टंकी की क्षमता कम रही। फायर इस्टिंग्यूशर सिलेंडर निर्धारित संख्या के अनुपात में कम रही।

परमानंद हास्पिटल-

अस्पताल के थर्ड फ्लोर में फायर एक्जिट नहीं है। क्षमता अनुसार पानी का स्टोरेज नहीं है। इमरजेंसी में जरूरत पड़ी तो आग बुझाने के लिए पर्याप्त पानी समय पर नहीं मिलेगा।

(जैसा कि नगर पालिका की टीम ने 26 और 30 मई के निरीक्षण में कमियां पाई)

अभी तो निरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है। रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। टीम बनी हुई है और संस्थानों की जांच भी हो रही है। पता करवाते हैं, रिपोर्ट आते ही कार्रवाई की जाएगी।

- तरूण भटनागर कलेक्टर

Created On :   7 Jun 2024 7:59 PM IST

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