सतना: मैहर जिले के 7 आदिवासी बच्चे निकले, सिकलसेल कॅरियर, 3 वयस्क भी शामिल

मैहर जिले के 7 आदिवासी बच्चे निकले, सिकलसेल कॅरियर, 3 वयस्क भी शामिल
  • मैहर जिले के 7 आदिवासी बच्चे निकले, सिकलसेल कॅरियर, 3 वयस्क भी शामिल
  • स्वास्थ्य विभाग करेगा निगरानी, पीडि़तों को काउंसलिंग की जरूरत

डिजिटल डेस्क, सतना। मैहर जिले के एक गांव में बैगा-सहारिया जनजाति के 7 बच्चों के हीमोग्लोबिन में सिकलसेल कॅरियर पाया गया है। इतना ही नहीं इसमें 3 वयस्क भी शामिल हैं। जानकार आगाह करते हैं कि ये भले ही पॉजिटिव की श्रेणी में नहीं आता पर अगर पति-पत्नी दोनों सिकलसेल कॅरियर हैं तो होने वाली संतान सिकलसेल पॉजिटिव हो सकती है। सिकलसेल बीमारी लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला वह प्रोटीन जो ऑक्सीजन ले जाता है, उसकी वंशानुगत आनुवंशिक असामान्यता है। इसमें लाल रक्त कोशिकाओं के ज़्यादा मात्रा में नष्ट हो जाने के कारण लाल रक्त कोशिकाओं का आकार सिकल (अर्धचंद्राकार) हो जाता है और क्रोनिक एनीमिया हो जाता है।

इससे होती है ये बीमारी

सिकलसेल पीडि़त इस असामान्यता वाले लोगों को हमेशा एनीमिया रहता और कभी-कभी पीलिया भी हो जाता है। एनीमिया का बढऩा, बुखार और सांस लेने में तकलीफ के साथ शरीर की लंबी हड्डियों, पेट और छाती में दर्द होना, सिकलसेल बीमारी के कुछ मुख्य लक्षण हैं। ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए जिनसे यह बीमारी हो सकती है। साथ ही संक्रमण और अन्य विकारों का जल्दी इलाज करने से इस बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है।

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दो गांवों में हुई ब्लड सेम्पलिंग

जानकारों के मुताबिक भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जनमन अभियान के तहत आदिवासी जनजातीय समूह में सिकलसेल एनीमिया स्क्रीनिंग टेस्ट करने के निर्देश दिए थे। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने मैहर जिले के बइहर एवं सेहरुआ गांव में बसे बैगा-सहारिया के लोगों के रक्त नमूने लिए। दोनों गांवों को मिलाकर कुल 55 आदिवासियों के ब्लड सेम्पल लिए गए। सिकलसेल जांच के लिए इन रक्त नमूनों को जिला अस्पताल के रीजनल डायग्नोस्टिक सेंटर भेजा गया। सिकलसेल बीमारी का पता लगाने के लिए एक खास तरह का ब्लड टेस्ट किया जाता है, जिसे इलैक्ट्रोफ़ोरेसिस कहते हैं।

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10 लोगों की आई टेस्ट रिपोर्ट

जानकारों ने बताया कि बइहर गांव के 10 लोगों के ब्लड में सिकलसेल के लक्षण पाए गए। इसमें 7 बच्चे हैं, जिनकी आयु 2 से 14 वर्ष के बीच है जबकि 3 आदिवासियों की उम्र 30 वर्ष से ज्यादा है। सेहरूआ गांव में लिए गए सेम्पल की रिपोर्ट आना शेष है। ये कॅरियर के तौर पर काम करेंगे। मसलन, आगे चलकर जब किसी सिकलसेल कॅरियर की शादी ऐसे शख्स से होगी जो वह भी सिकलसेल कॅरियर हो तो फिर उसकी होने वाली संतान में सिकलसेल पॉजिटिविटी होने की चांसेस बढ़ जाते हैं, जो कि आने वाले दिनों में उसके लिए घातक सिद्ध होगा। इसका कोई उपचार नहीं है बस, बचाव ही एक मात्र रास्ता है। ऐसे लोगों की विभाग काउंसलिंग करेगा।

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Created On :   31 Jan 2024 10:28 AM IST

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