Panna News: बुंदेली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने उठ रही मांग

बुंदेली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने उठ रही मांग
  • एमपी का बुंदेलखंड प्राचीन काल से अपनी अलग पहचान बनाये हुए
  • बुंदेली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने उठ रही मांग

Panna News: भारत का हृदय कहा जाने वाला मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड प्राचीन समय से ही अपनी अलग पहचान बनाये हुए हैं। जैसा की नाम से ही विदित होता है कि बुंदेलखंड अपनी शूरवीरता अपनी भव्य विरासत तथा अपनी गौरवशाली संस्कृति के लिए विश्व विख्यात है। बुंदेलखंड मे रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी पहचान है यहॉं की बुंदेली भाषा। कहते हैं की व्यक्ति की पहचान उसकी भाषा-शैली से होती है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की बीचोंबीच स्थित बुंदेलखंड अपनी बुंदेली भाषा के लिए भी जगजाहिर है क्योंकि इस भाषा मे सरलता-सहजता और भोलापन है इसलिए बुंदेली भाषा अपनी अलग ही पहचान बनाए हुए हैं।

बुंदेली भाषा का इतिहास

बुंदेली भाषा का यदि अध्ययन किया जाए तो इस भाषा का प्रमाण आदिकाल में मिलता है और धीरे-धीरे इस भाषा ने बोलचाल के साथ-साथ साहित्य मे भी स्थान पाया है। आदिकाल की रचनाओं मे बुंदेली भाषा का प्रचुर मात्रा मे प्रयोग किया गया है और बृहद रूप से साहित्य का सर्जन किया गया है जिससे ज्ञात होता है कि आदिकाल से ही बुंदेली भाषा का अपना साहित्य रहा है और यह बोली यहॉं की मातृभाषा के रूप मे अपनी पहचान बनाये हुए हैं। जिसको आज लगभग 6 करोड़ लोग बोलचाल के रूप में प्रयोग करते हैं।

क्यों उठ रही मांग

बुंदेली भाषा के अतीत का अध्ययन और शोध करने के उपरांत यह देखने में आया है कि हमारे देश मे यदि देखा जाए तो क्षेत्रीय भाषाओं की संख्या लगभग 2100 के आसपास है यदि बुंदेली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची मे शामिल कर लिया जाता है तो मान्यता प्राप्त भाषाओं की संख्या 23 हो जाएगी और इस भाषा मे जो भी साहित्य का सर्जन किया जा रहा है उससे भविष्य में एक नई उम्मीद जागेगी। क्योंकि यह भाषा बुंदेलखंड की एक विरासत है और इसका संरक्षण और संवर्धन य़दि समय पर नहीं किया गया तो यह लुप्तप्राय भाषा की श्रेणी में आ जायेगी। इसलिए इस भाषा को संवैधानिक दर्जा दिया जाना अति आवश्यक है। ज्ञात हो की बुंदेली भाषा के प्रसिद्ध कवि डॉ. अवध किशोर जडिया को बुंदेली भाषा पर भारत सरकार के द्वारा पदमश्री सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसलिए यदि बुंदेली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल कर लिया जाता है तो बुंदेली भाषा के साहित्यकारों को उनके साहित्य सर्जन का उचित मूल्य मिल सकेगा और बुंदेली भाषा मे भविष्य के लिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे ।

क्या कहते हैं बुंदेली भाषा के विद्वान

बुंदेली मध्यप्रदेश के हृदयस्थल बुंदेलखंड क्षेत्र की जनता की मातृभाषा है। यहॉं का गौरवमय इतिहास रहा है बुंदेलखंड के चौदह जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों मे बुंदेली भाषा के बोलचाल और लेखन के प्रभाव को समझना चाहिए। सांस्कृतिक वैभव की दृष्टि से भी बुंदेली की समृद्धि को समझना होगा। आधुनिक भारत मे बुंदेली में साहित्य की विविध विधाओं मे साहित्य रचा जा रहा है। बुंदेलखंड की जनभावनाओं को समझते हुए आठवीं अनुसूची मे शामिल किया जाना राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में अनिवार्य है।

डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी

प्रोफेसर एवं अध्यक्ष हिन्दी विभाग डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर

Created On :   21 March 2025 12:25 PM IST

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