Panna News: विकास की भेंट चढ़ेगा पन्ना का हरा-भरा भविष्य, लाखों पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने की तैयारी

विकास की भेंट चढ़ेगा पन्ना का हरा-भरा भविष्य, लाखों पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने की तैयारी
  • विकास की भेंट चढ़ेगा पन्ना का हरा-भरा भविष्य
  • लाखों पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने की तैयारी
  • निजी कंपनी बनाएगी विशाल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट

Panna News: विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण संरक्षण के नियम ताक पर रखे जा रहे हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना के बाद अब पन्ना जिले में एक और बड़े प्रोजेक्ट के लिए लाखों पेड़ों की बलि चढ़ाने की तैयारी हो रही है। पन्ना और सतना जिले की सीमा पर वृहस्पति कुण्ड के पास एक निजी कंपनी द्वारा 1800 मेगावाट का विशाल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट लगाने की योजना है। इस परियोजना के लिए लगभग 520 हेक्टेयर वन भूमि की मांग की गई है जिसमें करीब 2 लाख पेड़ों की कटाई संभावित है। इस खबर से क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमी और स्थानीय निवासी चिंतित हैं जो विकास के नाम पर लगातार हो रहे पर्यावरण विनाश पर सवाल उठा रहे हैं।

पन्ना-सतना सीमा पर प्रकृति का विनाश

श्री सिद्धार्थ इंफ्राटेक एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी वृहस्पति कुण्ड के पास पनारी स्टैंडअलोन पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट स्थापित करने की योजना बना रही है। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। घने जंगलों से घिरा यह स्थल साल भर पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। डैम के निर्माण से इस क्षेत्र की जैव विविधता, मनोरम दृश्य और लोगों की धार्मिक भावनाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं।

वन विभाग ने किया निरीक्षण, नुकसान का आंकलन जारी

परियोजना के लिए कंपनी ने वन विभाग को औपचारिक प्रस्ताव भेजा है जिसमें पन्ना जिले की 211.70 हेक्टेयर और सतना जिले की 309.96 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है। जानकारी के अनुसार लगभग 2 लाख पेड़ों को काटा जाएगा। जिससे इस क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होगा। वन विभाग की टीम ने अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक भू-अभिलेख हरि शंकर मोहंता के नेतृत्व में हाल ही में साइट का निरीक्षण किया है और इस बांध से होने वाले संभावित नुकसान का आंकलन कर रही है। फिलहाल वन विभाग ने इस परियोजना को हरी झंडी नहीं दी है।

स्थानीय विरोध और पर्यावरणविदों की चिंता

जहां सरकार और निजी क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं वहीं स्थानीय लोग, सामाजिक संगठन और पर्यावरणविद् इस निजी परियोजना के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। वन विभाग द्वारा परियोजना का आकलन शुरू कर दिया गया है जबकि स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे संगठनों ने जनसुनवाई और पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन की मांग की है जिससे परियोजना के सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार किया जा सके।

बाघिन नदीं पर खतरा, जल संकट की आशंका

यह हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बाघिन नदीं पर प्रस्तावित है जो बृजपुर, पहाड़ीखेरा, धरमपुर, खोरा क्षेत्र की जीवन रेखा मानी जाती है। इस नदीं के किनारे बसे दर्जनों गांव पीने के पानी, सिंचाई और पशुपालन के लिए इसी पर निर्भर हैं। डैम के निर्माण से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होगा जिससे इन गांवों में जल संकट और पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो सकता है। परियोजना में बिजली उत्पादन के लिए 984.90 क्यूमेक डिजाइन डिस्चार्ज और 207 मीटर के हेड का उपयोग किया जाएगा। 300 मेगावाट की छह इकाइयों वाला यह विशाल प्रोजेक्ट छोटी सी बाघिन नदी पर बनाया जाएगा। जिससे नदी पर आश्रित लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

इनका कहना है

प्राईवेट कंपनी द्वारा डैम निर्माण और हाइड्रो पावर प्लांट के लिए वन भूमि की मांग की गई है। इसके लिए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक भू-अभिलेख द्वारा साइट का निरीक्षण किया गया है। फिलहाल एनओसी पर चर्चा चल रही है और काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या की गणना अभी नहीं की गई है।

कृष्णा मरावी, एसडीओ उत्तर वन मंडल पन्ना

Created On :   10 April 2025 1:45 PM IST

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