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दिव्यांग डॉक्टर को क्यों ठहरा रहे पीजी की पढ़ाई के लिए अयोग्य, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग डॉक्टर को पीजी की पढ़ाई के अयोग्य ठहराए जाने को चुनौती दी गई है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने राज्य सरकार, डीएमई और एमसीआई को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है। उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता को नीट एग्जाम में 385 अंक आने पर उसे एमडी मेडिसीन की सीट आवंटित की गई। सीट आवंटित होने के बाद उसे जानकारी दी गई कि फरवरी 2019 में गाइडलाइन बनाई गई है कि 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग को मेडिकल सीट में दाखिला नहीं दिया जा सकता है।
दायर याचिका में यह रखा पक्ष-
गंगानगर जबलपुर निवासी डॉ. अंशुल जैन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उसने वर्ष 2016 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उसने एमडी एनेस्थेशिया में प्रवेश लिया। वर्ष 2017 में सड़क दुर्घटना होने की वजह से उसका एक हाथ पूरी तरह से बेकार हो गया। उसे 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग घोषित कर दिया गया। एनेस्थेशिया में दोनों हाथों का उपयोग अनिवार्य होने की वजह से उसने एनेस्थेशिया का कोर्स छोड़ दिया। मेडिकल कॉलेज ने उसकी पूरी वापस कर दी। वर्ष 2019 में उसने फिर से नीट एग्जाम दिया। नीट एग्जाम में 385 अंक आने पर उसे एमडी मेडिसीन की सीट आवंटित की गई। सीट आवंटित होने के बाद उसे जानकारी दी गई कि फरवरी 2019 में गाइडलाइन बनाई गई है कि 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग को मेडिकल सीट में दाखिला नहीं दिया जा सकता है।
यह दिया गया तर्क-
अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता मेधावी छात्र है। उसे पैथालॉजी, मेडिसीन या बॉयो केमेस्ट्री की सीट आवंटित की जा सकती है। याचिकाकर्ता को दिव्यांगता के आधार पीजी की पढ़ाई के अयोग्य ठहराया जाना संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने राज्य सरकार, डीएमई और एमसीआई को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
Created On :   30 April 2019 10:09 PM IST