पानीपत और कादम्बरी की भव्यता, कन्नड़ भाषा तक पहुंचा शहर का रंगमंच

Theatre play : Panipat and Kadambari play are enjoying the fame
पानीपत और कादम्बरी की भव्यता, कन्नड़ भाषा तक पहुंचा शहर का रंगमंच
पानीपत और कादम्बरी की भव्यता, कन्नड़ भाषा तक पहुंचा शहर का रंगमंच

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। वर्ष 2018 खत्म होने में चंद दिन ही बचे हैं। जब बात साल के गुजरने की होती है, तो जहन में पूरे साल से जुड़ी कई बातें बरबस ही कौंध जाती हैं। कहने को तो कई बातें हैं, लेकिन आज बात करेंगे शहर थियेटर यानी रंगमंच की। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पिछले कुछ वर्षों में शहर का रंगमंच और भी परिपक्व हुआ है। वरिष्ठ रंगकर्मियों को युवा पीढ़ी का साथ मिला, तो कई नए नाटकों का सृजन और मंचन हुआ, वहीं कुछ नाटक ऐसे भी रहे, जिनकी धाक रंगमंच पर वर्षों से कायम है। साल 2018 की बात करें, तो विभिन्न नाट्य संस्थाओं के लिए यह विभिन्न उपलब्धियों और नवाचार के नाम रहा। शहर के नाट्य प्रेमियों को ऐतिहासिक नाटक पानीपत और तुगलक से लेकर भव्यता से सजा नाटक कादम्बरी भी देखने को मिला, वहीं कन्नड़ भाषा तक शहर के रंगमंच ने पहुंच बनाई। पहली बार शहर में लंदन के थियेटर ग्रुप ने नाटक मंचित किया। राष्ट्रीय नाट्य समारोह आयोजित हुए, जिनमें देश के जाने-माने नाट्य कर्मियों का काम भी देखने को मिला।

दिग्गज आए शहर, लंदन का ग्रुप भी पहुंचा
विवेचना थियेटर ग्रुप द्वारा इस वर्ष नया नाटक महाब्राह्मण तैयार किया गया, जिसका चयन एशिया के सबसे बड़े थियेटर फेस्ट भारंगम के लिए हुआ। शहर में इसके 3 मंचन हो चुके हैं, वहीं हाल ही में सागर में मंचन हुआ। सचिव हिमांशु राय ने बताया कि शहर में पहली बार लंदन के एकेडमी ग्रुप द्वारा नाटक उसने कहा था का मंचन किया गया। इसके अलावा अक्टूबर में हुए नाट्य समारोह में 7 नाटक मंचित हुए, जिनमें आशीष विद्यार्थी, नादिरा बब्बर, कुमुद मिश्रा, शुभ्रज्योति बराट जैसे दिग्गज शहर पहुंचे।

निठल्ले की डायरी के 25 वर्ष, वामा की शुरूआत
विवेचना रंगमंडल के नाटक निठल्ले की डायरी ने इस वर्ष 25 वर्ष पूरे किए और देश के कई शहरों में मंचित हुआ। मार्च में नाट्य नवरात्र में शहरवासियों को लगातार नौ नाटकों का मंचन देखने को मिला। सचिव आशुतोष द्विवेदी ने बताया इस साल नया नाटक भगदत्त का हाथी तैयार हुआ, वहीं ऐतिहासिक नाटक पानीपत भी पहली बार मंचित हुआ। रंगमंडल की महिला विंग वामा की शुरूआत हुई, वहीं चंचलबाई कॉलेज में अलख अखाड़ा शुरू हुआ। रंगमंडल के कलाकारों ने बयार एक बदलाव की जैसी शॉर्ट फिल्में भी तैयार कीं। सतत नाट्य के साथ राष्ट्रीय नाट्य समारोह भी हुआ।

कन्नड़ भाषा में निर्देशित किया नाटक, अगरबत्ती पहुंचा थियेटर ओलिंपिक
समागम रंगमंडल द्वारा नाटक अगरबत्ती तैयार किया गया, जिसका चयन थियेटर ओलिंपिक के साथ साउथ इंडिया के बड़े थियेटर फेस्ट बहुरूपी के लिए हुआ। रंगमंडल के निर्देशक आशीष पाठक ने बताया कि इस वर्ष सराय का 32 वा मंचन हुआ, वहीं उन्हें मैसूर में रंगायन फेस्ट में कन्नड़ भाषा के नाटक पुंटिला का निर्देशन करने का मौका मिला, जिसके मंचन बाद में दिल्ली, मुंबई और कर्नाटक के कई शहरों में हुए। इसके अलावा वे एमपीएसडी में अभिनय प्रशिक्षक और असि. डायरेक्टर के रूप में चुने गए। रंगमंडल के कुछ कलाकारों ने मुंबई का रुख भी किया।

स्वतंत्रता सेनानियों और कबीर के लिए तैयार किए नाटक
नाट्यलोक संस्था द्वारा इस वर्ष जागरूकता के लिए लगभग 700 नुक्कड़ नाटक पूरे शहर में मंचित किए गए। सचिव दविंदर सिंह ग्रोवर ने बताया कि इस वर्ष कबीर को समर्पित किस्सा-ए-कबीर सितंबर में किया, वहीं स्वतंत्रता सेनानियों उधम सिंह पर वाह उधम सिंह वाह और अशफाक उल्ला खान पर जियो अशफाक जियो नाटक तैयार और मंचित किए। बच्चों के लिए खास थियेटर फेस्ट हुआ। इसके अलावा स्वांग मल्टीनेशनल और जो राम रचि राखा जैसे नाटकों के मंचन भी लगातार हुए।

ये भी जानें
- तरंग प्रेक्षागृह में मप्र नाट्य विद्यालय के 7वें सत्र समाप्ति नाट्य समारोह में 5 नाटक हुए, जिनमें संजय उपाध्याय के निर्देशन में हुए कादंबरी ने भव्यता के लिए सुर्खियां बटोरीं। नाटक का बजट करीब 18 लाख था, जो एमपीएसडी का अब तक सबसे महंगा नाटक था।
- उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद द्वारा नाट्यलोक के सहयोग से नर्मदा नाट्य समारोह आयोजित हुआ, जिसमें देश के 5 शहरों से आईं संस्थाओं द्वारा 5 नाटक मंचित किए गए।

Created On :   27 Dec 2018 11:05 PM IST

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