एचआईवी,टीबी जांच के लिए लंबी लाइन की समस्या से जूझ रहीं गर्भवती महिलाएं
डिजिटल डेस्क,छतरपुर। गर्भवती महिलाओं के एचआईवी टेस्ट के बाद अब टीबी की जांच भी अनिवार्य कर दी गई है। इस संबंध में राज्य शासन ने सीएमएचओ एवं सिविल सर्जन को आदेश जारी कर दिए हैं। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के अंतर्गत वर्ष 2024 तक राज्य को टीबी करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को टीबी की जांच कराना होगी। सिविल सर्जन डॉ.जीएल अहिरवार ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए एचआईवी और टीबी की जांच अनिवार्य कर दी गई है, जिससे आने वाली संतान को किसी तरह का खतरा न हो।
अस्पताल में प्रतिदिन 40-50 गर्भवती महिलाओं की जांच होती है। जांच से संक्रमण का पता चल जाता है और समय रहते इलाज करा सकती है, जिससे बच्चा सुरक्षित रहेगा। उधर, जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को एचआईवी की जांच के लिए परेशान होना पड़ रहा है। महिलाओं ने बताया कि अस्पताल में जांच के लिए परचा कहीं बन रहा है जांच कहीं और हो रही है। हालात यह हो गए हैं कि महिलाएं जांच के लिए सुबह 8 बजे से लाइन में लग जाती हैं और घंटों बाद नम्बर आता है। इसके बाद रिपोर्ट समय पर नहीं मिलती है। ऐसे में टीबी की जांच कराने में और भी समय लगेगा। जिला क्षय अधिकारी डॉ.शरतचंद्र चौरसिया ने बताया कि ओपीडी के माध्यम से आने वाली गर्भवती महिलाओं की टीबी की जांच की जाएगी। पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें तत्काल इलाज व डीबीटी सहित सुविधाएं दी जाएंगी। इसके अलावा एनआरसी में भर्ती शत-प्रतिशत बच्चों की टीबी की जांच की जाएगी।
फेफड़ों पर अधिक प्रभाव
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो टयूबरक्यूलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूट्रस, मुंह, लिवर, किडनी गले आदि में भी टीबी हो सकती है। यह हवा के जरिए एक-दूसरे में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान नाक-मुंह से निलकने वाली बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं।
समय पर इलाज जरूरी
टीबी खतरनाक इसलिए है, क्योंकि शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के लक्षण नजर आने पर जांच जरूर करना चाहिए। इसके शुरुआती लक्षण खांसी आना है। दो हफ्ते या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच कराना चाहिए। रात में पसीना आना भी टीबी का लक्षण हो सकता है।
Created On :   26 July 2022 7:33 AM GMT