नपा अध्यक्ष और सेवानिवृत्त अधिकारी पहले 7.5 लाख जमा करें, फिर मिलेगी अग्रिम जमानत

नपा अध्यक्ष और सेवानिवृत्त अधिकारी पहले 7.5 लाख जमा करें, फिर मिलेगी अग्रिम जमानत
नपा अध्यक्ष और सेवानिवृत्त अधिकारी पहले 7.5 लाख जमा करें, फिर मिलेगी अग्रिम जमानत

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने इस शर्त के साथ सिवनी मालवा नगर पालिका की अध्यक्ष कल्पना यादव और सेवानिवृत्त अधिकारी विक्रम सिंह की अग्रिम जमानत मंजूर करने का आदेश है कि पहले दोनों शासकीय धन के नुकसान की राशि 7.5 लाख रुपए राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा करें। एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि दोनों आवेदक राष्ट्रीयकृत बैंक में 3.75-3.75 लाख रुपए जमा करने के बाद उसकी रसीद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश करेंगे, इसके बाद उनकी अग्रिम जमानत मंजूर की जाएगी। 

दोनों ने मिलकर ई-टेंडर में गड़बड़ी की

प्रकरण के अनुसार सिवनी मालवा नगर पालिका अध्यक्ष कल्पना यादव और सेवानिवृत्त अधिकारी विक्रम सिंह पर आरोप है कि दोनों ने मिलकर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ई-टेंडर में गड़बड़ी की। इसकी वजह से सरकार को 7.5 लाख रुपए का नुकसान हुआ। शिकायत के बाद दोनों के खिलाफ धारा 420, 34 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (बी) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। नगर पालिका अध्यक्ष और सेवानिवृत्त अधिकारी की ओर से दायर अग्रिम जमानत में कहा गया कि आवेदकों को राजनीतिक साजिश के तहत झूठा फंसाया गया है। आवेदक ई-टेंडर में हुए कथित नुकसान की राशि भी जमा करने के लिए तैयार है। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने ई-टेंडर में हुए नुकसान की राशि 7.5 लाख रुपए जमा करने की शर्त पर अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने लगाई लोक अदालत के आदेश पर रोक

हाईकोर्ट ने खंडवा लोक अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके जरिए रेलवे के सेक्शन इंजीनियर ने नगर निगम खंडवा को 40 लाख रुपए भुगतान करने की सहमति दी थी। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने खंडवा नगर निगम को निर्देशित किया है कि आगामी आदेश तक रेलवे के खिलाफ किसी भी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाए। 
रेलवे पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता

रेलवे की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि खंडवा रेलवे परिसर की साफ-सफाई के लिए खंडवा नगर निगम से अनुबंध किया गया था। खंडवा नगर निगम की ओर से सर्विस टैक्स के तौर पर 44 लाख 62 हजार 280 रुपए की डिमांड की थी। इस मामले में रेलवे का कहना था कि केन्द्र सरकार का संस्थान होने की वजह से रेलवे पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता है। लोक अदालत खंडवा ने सीनियर सेक्शन इंजीनियर के हस्ताक्षर पर रेलवे को आदेशित किया कि खंडवा नगर निगम को 40 लाख रुपए का भुगतान किया जाए। रेलवे के अधिवक्ता नरिन्दर पाल सिंह रूपराह ने तर्क दिया कि सीनियर सेक्क्शन इंजीनियर को रेलवे की ओर से लोक अदालत में समझौता करने की अधिकारिता प्रदान नहीं की गई थी। लिहाजा लोक अदालत का समझौता शून्य है। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने लोक अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए खंडवा नगर निगम को निर्देशित किया है कि आगामी आदेश तक रेलवे के खिलाफ किसी भी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाए।
 

Created On :   6 Jun 2019 1:16 PM IST

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