हाईकोर्ट: महिला स्वाधार गृह पर जवाब पेश करने सरकार को अंतिम मोहलत

Last chance for Government to reply on mahila swadhar grah : HC
हाईकोर्ट: महिला स्वाधार गृह पर जवाब पेश करने सरकार को अंतिम मोहलत
हाईकोर्ट: महिला स्वाधार गृह पर जवाब पेश करने सरकार को अंतिम मोहलत

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने महिला स्वाधार गृह पर जवाब पेश करने के लिए राज्य सरकार को अंतिम मोहलत दी है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में इस आशय का जवाब पेश करने के लिए कहा है कि महिला स्वाधार गृह के लिए कब-कब कितना अनुदान दिया गया।

यह कहा जनहित याचिका में-
लार्डगंज निवासी अधिवक्ता स्वाती राठौर की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि जबलपुर सहित प्रदेश के भोपाल, इंदौर और ग्वालियर के महिला स्वाधार गृह के लिए राज्य सरकार अनुदान नहीं दे रही है। इसकी वजह से स्वाधार गृह में रहने वाली बेसहारा महिलाओं को भोजन और अन्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि महिला स्वाधार गृह को चार साल का अनुदान दे दिया गया है। युगल पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को यह पता लगाने के लिए कहा था कि महिला स्वाधार गृह को कितना अनुदान मिला है।

अनुदान की मांगी जानकारी-
अधिवक्ता प्रहलाद चौधरी, राजेश नामदेव और भरत रजक ने युगल पीठ को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2016-17 को पूरा अनुदान और वर्ष 2017-18 का आधा अनुदान दिया है। महिला स्वाधार गृह को वर्ष 2015-17 और वर्ष 2018-19 का अनुदान नहीं दिया गया है। युगल पीठ ने राज्य शासन से इस आशय का जवाब मांगा था कि महिला स्वाधार गृह को कब-कब कितना अनुदान दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए दो बार समय लिया गया। मंगलवार को युगल पीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने लिए अंतिम मोहलत देते हुए चार सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

संविदा जिला समन्वयक के तबादले पर यथास्थिति का आदेश-
वहीं हाईकोर्ट ने शहडोल में नेशनल हेल्थ मिशन में कार्यरत संविदा जिला समन्वयक के तबादले पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। शहडोल में नेशनल हेल्थ मिशन में जिला समन्वयक के पद कार्यरत रामगोपाल गुप्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसकी नियुक्ति वर्ष 2015 में हुई थी। वर्ष 2014 की नीति के अनुसार उसकी नियुक्ति शर्तों में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि संविदा पर कार्यरत कर्मचारी का तबादला नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद उसका तबादला शहडोल से अनूपपुर कर दिया गया। अधिवक्ता राधेलाल गुप्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की पत्नी भी शहडोल जिले में पदस्थ है। याचिकाकर्ता का तबादला किसी व्यक्ति विशेष को समायोजित करने के लिए किया गया है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने जिला समन्वयक के तबादले पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।

Created On :   30 April 2019 7:13 PM IST

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