जेल अधीक्षकगोपाल ताम्रकार ने अचानक माँगा वीआरएस

Jail Superintendent Gopal Tamrakar suddenly asked for VRS
जेल अधीक्षकगोपाल ताम्रकार ने अचानक माँगा वीआरएस
गृह विभाग व जेल डीजी को भेजा पत्र, हड़कंप जेल अधीक्षकगोपाल ताम्रकार ने अचानक माँगा वीआरएस

डिजिटल डेस्क जबलपुर । नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय कारागार के जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार ने रिटायरमेंट के दस माह पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति माँगी है। उन्होंने इसके पीछे निजी व पारिवारिक कारण बताते हुए गृह विभाग व जेल मुख्यालय पत्र प्रेषित किया है। इस खबर से सूबे में हड़कम्प की स्थिति रही। कई ने इसे इस्तीफे से भी जोड़कर देखा, हालाँकि मामला वीआरएस से जुड़ा है। इसकी पुष्टि स्वयं श्री ताम्रकार ने की है। ज्ञात हो कि वे पूर्व में मुख्यालय में डीआईजी व भोपाल सेंट्रल जेल सहित प्रदेश की अन्य जेलों में अधीक्षक के तौर पर अपनी सेवाएँ दे  चुके हैं। 
  जानकार सूत्रों के अनुसार केंद्रीय जेल अधीक्षक के पद पर पदस्थ गोपाल ताम्रकार का सेवाकाल 30  जून 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन प्रदेश शासन द्वारा रिटायरमेंट की आयु सीमा बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी थी और इसका लाभ श्री ताम्रकार को मिला था। आयु सीमा बढ़ाए जाने के बाद उनका रिटायरमेंट 30 जून 2022 को होना था, लेकिन रिटायरमेंट के दस माह पहले ही उन्होंने वीआरएस की इच्छा जताते हुए पत्र भेजा है। जानकारों के अनुसार गृह व जेल मुख्यालय द्वारा अभी उनके पत्र पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जेल अधीक्षक के फैसले को लेकर विभाग में हड़कंप की स्थिति है। इसके पीछे और भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
दो बार मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार
सूत्रों के अनुसार श्री ताम्रकार को अपनी 33 वर्ष की सेवा के दौरान दो बार उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। उन्होंने जबलपुर केन्द्रीय कारागार में भी नवाचार के ऐसे कई कार्य किए हैं, जिन्हें कई अधिकारी खुद मिसाल मानते हैं।
मुलाकात का आधुनिक तरीका 
जानकारों के अनुसार वर्ष 1999 में भारत सरकार के द्वारा श्री ताम्रकार का चयन लंदन ट्रेनिंग के लिए हुआ था। वहाँ से लौटने के बाद उन्होंने जेल में आधुनिक तरीके की मुलाकात का खाका बनाया और उस पर अमल किया गया। उनकी इस पहल को देश की अन्य जेलों में भी लागू किया गया है। इसी तरह उन्होंने जेल में इग्नू का नि:शुल्क अध्ययन केंद्र की शुरुआत कराई थी। बाद में इस केंद्र की स्थापना देश की अन्य जेलों में भी की गई थी। उन्होंने बंदियों को ऐसी शिक्षा व प्रशिक्षण से जोडऩे का काम किया, जिससे बाहर जाते ही वे अपना खुद का रोजगार स्थापित करके मुख्य धारा से जुड़ सकें।

Created On :   2 Sept 2021 2:05 PM IST

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