एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी ने कैशलेस नहीं किया और बाद में कर दी पॉलिसी क्लोज
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा पॉलिसी लेने के बाद भरोसा हो जाता है कि आपको हर हाल में राहत मिलेगी। यह राहत वाकई मिलेगी या नहीं इसका खुलासा तो बीमित के बीमार होने के बाद होता है। अस्पताल में भर्ती होते ही बीमा कंपनी के अधिकारी सबसे पहले कैशलेस से मना करते हैं और सारा भुगतान अपने पास से भरने के बाद जब पॉलिसीधारक बीमा कंपनी में क्लेम करता है तो जिम्मेदार अनेक प्रकार की कमियाँ निकालकर उन बिलों को पास करने से इनकार कर देते हैं। बीमित वही बिल दोबारा सत्यापित कराकर व नियमों का हवाला देकर जमा करता है तो क्लेम रिजेक्ट करते हुए बीमा कंपनी के अधिकारी द्वारा पॉलिसी क्लोज कर दी जाती है। बीमितों का आरोप है कि बीमा कंपनियाँ आम लोगों के साथ जालसाजी करने पर उतारू हैं और जिम्मेदार पूरी तरह मौन हैं।
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बीमार होने पर तीसरे वर्ष पड़ी थी इलाज की जरूरत
कानपुर स्वर्ण जयंती विहार निवासी बालकृष्ण उत्तम ने बताया कि उन्होंने एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया था। बीमा कराने के बाद बीमा अधिकारियों ने एक कार्ड दिया था और उसके आधार पर लिंक अस्पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा देने का वादा किया था। तीन साल लगातार पॉलिसी का प्रीमियम जमा किया और तीसरे वर्ष ही पत्नी भगवान श्रीदेवी कुर्मी के शरीर में दर्द होना शुरू हो गया। उन्हें इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और कैशलेस के लिए बीमा कंपनी में सूचना दी। पहले बीमा अधिकारियों ने कैशलेस सुविधा देने का वादा किया और स्वीकृत भी कर दिया। पॉलिसीधारक को इलाज के बाद चिकित्सकों ने छुट्टी के लिए कहा तो बीमा कंपनी में राशि भुगतान के लिए मेल किया गया तो बीमा अधिकारियों ने कैशलेस जो स्वीकृत किया था उसे निरस्त कर दिया। बीमित ने इसके बारे में जानकारी ली तो बीमा कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि आपके द्वारा बीमारी छुपाई गई थी इसलिए हम कैशलेस नहीं करेंगे और पॉलिसी निरस्त कर दी। बीमित ने सारे तथ्य रखे पर जिम्मेदार उसे मानने के लिए तैयार नहीं हुए। बीमित का आरोप है कि उसके साथ बीमा कंपनी के अधिकारियों के द्वारा जालसाजी की गई है।
Created On :   19 Jan 2023 6:09 PM IST