New Delhi News: सहकारी क्षेत्र की कंपनी को भ्रष्ट घोषित नहीं किया जा सकता, महाराष्ट्र के शहर वायु प्रदूषण के मानक पर खरे नहीं

सहकारी क्षेत्र की कंपनी को भ्रष्ट घोषित नहीं किया जा सकता, महाराष्ट्र के शहर वायु प्रदूषण के मानक पर खरे नहीं
  • दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 में नही है ऐसा कोई प्रावधान
  • महाराष्ट्र के 19 शहर वायु प्रदूषण के मानक पर नहीं उतरे खरे

New Delhi News. महाराष्ट्र में सहकारी क्षेत्र की कंपनियों की स्थिति चाहे जो हो, लेकिन दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता,2016 के तहत किसी कंपनी को ‘भ्रष्ट’ घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इतना ही नहीं, सहकारी समितियां इस संहिता के दायरे से बाहर हैं, क्योंकि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 सहकारी समितियों पर लागू नहीं होती है। कॉरपोरेट राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने सोमवार को लोकसभा में यह जानकारी दी। शिवसेना (उद्धव) के सांसद ओम प्रकाश निंबालकर द्वारा पूछे गए एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए मल्होत्रा ने कहा कि किसी सहकारी क्षेत्र की कंपनी को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत ‘भ्रष्ट’ घोषित नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उस्मानाबाद संसदीय क्षेत्र स्थित ‘बार्शी टेक्सटाइल मिल्स’ के नाम से कोई कंपनी आज तक की तारीख में दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के अंतर्गत स्वीकार नहीं की गई है।

वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का केंद्र के पास नहीं है कोई आंकड़ा

उधर महाराष्ट्र में बढ़ते वायु प्रदूषण का लोगों के स्वास्थ्य पर भले ही जो प्रभाव पड़ रहा हो, लेकिन केंद्र सरकार के पास ऐसा कोई निर्णायक आंकड़ा नहीं है। जिसके आधार पर वायु प्रदूषण को सीधे तौर पर संवेदनशील आबादी पर पड़ने वाले दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों का कारण माना जा सके। केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने सोमवार को लोकसभा में यह जानकारी दी। सोलापुर से कांग्रेस सांसद प्रणिति शिंदे के द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 2019 में राष्ट्रव्यापी पहल के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करना है। इस कार्यक्रम के तहत लगातार 5 वर्षों तक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन करने वाले व वायु गुणवत्ता स्तरों के आधार पर मानको पर खरा नहीं उतरने वाले शहरों की पहचान की गई है, जिसमें महाराष्ट्र के 19 शहरों को शामिल किया गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि एनसीएपी के तहत महाराष्ट्र में मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले कुल 19 में से 9 शहरों (अकोला, अमरावती, चंद्रपुर, जलंगाव, जालना, कोल्हापुर, लातूर, सांगली, सोलापुर) को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। इसके अलावा शेष 10 शहरों (औरंगाबाद, ग्रेटर मुंबई, बदलापुर, नवी मुंबई, ठाणे, उल्हासनगर, नागपुर, नासिक, पुणे और वसई-विरार) को 15वें वित्त आयोग के तहत वित्त पोषित किया जाता है। इन सभी शहरों पर वित्त वर्ष 2019-20 से वर्ष 2024-25 (30 जनवरी 2025) तक एनसीएपी और 15वें वित्त आयोग के अनुदान के तहत 1754.40 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी गई है। इसमें से अब तक 1271.66 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।

Created On :   10 Feb 2025 8:57 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story