जबलपुर: शहर में लगे अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल के मामले में हाईकोर्ट ने तलब की स्टेटस रिपोर्ट

शहर में लगे अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल के मामले में हाईकोर्ट ने तलब की स्टेटस रिपोर्ट
  • कलेक्टर जबलपुर व नगर निगम आयुक्त को नोटिस, अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को
  • वर्ष 2014 में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।
  • याचिका में कहा गया कि यूनिपाेल लगाने के लिए उसके स्ट्रक्चर की डिजाइन भी निर्धारित है।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर के अलग-अलग स्थानों पर लगे अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल के मामले में हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन व नगर निगम प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। एक जनहित याचिका दायर कर अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल लगाने को चुनौती दी गई है।

गुरुवार को प्रारंभिक सुनवाई के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, कलेक्टर जबलपुर व नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। मामले पर अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी।

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि पहले यूनिपोल व होर्डिंग लगाने के नियम नहीं थे।

वर्ष 2014 में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। उसके बाद वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम बनाए गए। इन नियमों के अनुसार जहाँ फुटपाथ मौजूद नहीं है, वहाँ पर मौजूदा सड़क के किनारे 3 मीटर के दायरे में यूनिपोल या होर्डिंग्स लगाने अनुमति नहीं दी जाएगी।

जहाँ पर फुटपाथ हैं, वहाँ पर फुटपाथ के किनारे से 3 मीटर के दायरे में यूनिपोल नहीं लगाए जा सकेंगे। सड़क के मध्य और फुटपाथों पर यूनिपोल और होर्डिंग्स नहीं लगाए जा सकेंगे। उन मोड़ वाले मार्गों पर जहाँ से दूर से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देते वहाँ पर भी यूनिपोल लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकेगी।

याचिका में कहा गया कि शहर में अधिकांश जगह यूनिपोल लगाने में इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, इसलिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

नहीं बनी कमेटी

याचिका में कहा गया कि वर्ष 2017 में बने नियमों के अनुसार 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहर में यूनिपोल लगाने के लिए एक अधिकृत कमेटी बनाई जाएगी। कमेटी द्वारा यह निर्धारित किया जाएगा कि यूनिपोल लगाने के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त है।

आरोप लगाया गया कि जबलपुर में अभी तक कमेटी का गठन नहीं किया गया है। नियम के अनुसार किसी एक विज्ञापन एजेंसी को अधिकतम तीन साल के लिए जगह दी जाएगी। इसके विपरीत नगर निगम द्वारा अनेक वर्षों से एक ही एजेंसी को ठेका आवंटित किया जा रहा है।

मुंबई की घटना से नहीं लिया सबक

याचिका में कहा गया कि यूनिपाेल लगाने के लिए उसके स्ट्रक्चर की डिजाइन भी निर्धारित है। यूनिपोल ऐसे स्थान पर नहीं लगाना है, जिससे राहगीरों का ध्यान भंग हो और वे दुर्घटना का शिकार हों। याचिका में कहा गया कि पिछले दिनों मुंबई में एक बड़ा होर्डिंग गिरने से 16 लोगों की मौत हो गई थी।

इस दर्दनाक घटना से भी नगर निगम सबक नहीं ले रही है। शहर में कई ऐसे स्थानों पर खतरनाक यूनिपोल लगाए गए हैं, जिससे बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

अनुमति की हो जाँच

याचिका में कहा गया कि शहर के कई स्थानों पर यूनिपोल व होर्डिंग लगाने की अनुमति देने में नियमों की अनदेखी की गई है। याचिका में माँग की गई कि जिनको भी अनुमति दी गई है, उनकी जाँच होनी चाहिए। जिन स्थानों पर नियम विरुद्ध अनुमति प्रदान की गई है, उनकी अनुमति तत्काल निरस्त की जानी चाहिए। यह माँग भी की गई कि नियम विरुद्ध अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

पटल पर रखीं दैनिक भास्कर की खबरें

वर्ष 2017 में नियम बनने के बाद यूनिपोल लगाने में उसके उल्लंघन को लेकर दैनिक भास्कर ने अपने पाठकों की आवाज उठाई। भास्कर ने लगातार अभियान चलाकर खबरों के जरिए बताया कि कैसे नगर निगम ने कमाई के चक्कर में यूनिपोल व होर्डिंग लगाने में नियमों और जनता की सुरक्षा को ताक पर रख दिया है।

जनहित याचिका के साथ दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबरों की कटिंग भी संलग्न की गईं।

Created On :   6 Sept 2024 12:18 PM GMT

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