जबलपुर: सरहद से सीधे वीएफजे पहुँचेंगे टैंक, यहीं इंजन, बॉडी और पार्ट्स मेंटेनेंस भी होगा

सरहद से सीधे वीएफजे पहुँचेंगे टैंक, यहीं इंजन, बॉडी और पार्ट्स मेंटेनेंस भी होगा
  • अवाडी और ऑर्डनेंस फैक्टरी मेडक का काम अब वाहन निर्माणी को
  • इसी सप्ताह आएँगे टी-90 और टी-70 के दोनों वर्जन
  • कर्मचारियों-अधिकारियों की एक टीम को प्रशिक्षण के लिए अवाडी और मेडक रवाना किया गया।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। पाकिस्तान और चायना की सरहद से सटी कमांड पर तैनात रहने वाले टैंकों में अब किसी भी तरह का मेंटेनेंस वाहन निर्माणी में हो सकेगा। वीएफजे में इंजन की ओवर हॉलिंग के अलावा बॉडी और पार्ट्स का फुल मेंटेनेंस हो सकेगा।

इससे पहले तक यह काम आयुध निर्माणी अवाडी और मेडक में होता रहा है। टी-90 और टी-70 टैंकों के फुल मेंटेनेंस का काम मिलने के बाद वीएफजे की जिम्मेदारियाँ और टारगेट में काफी बड़े बदलाव देखने मिलेंगे। खास बात यह है कि टैंकों के दोनों वर्जन की पहली खेप इसी सप्ताह में वीएफजे पहुँचने वाली है।

वाहन निर्माणी जबलपुर में भले ही स्टेलियन और एलपीटीए जैसे वाहनों का काम बेहद सीमित हो गया है लेकिन फैक्टरी ने दूसरे सेगमेंट में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं। अब तक टैंकों के इंजन की ओवर हॉलिंग करने में महारत रही है।

दो बैच में आयुध कर्मी हुए ट्रेंड

टैंक से जुड़े मेंटेनेंस में वीएफजे ने तकरीबन एक साल पहले से ही संभावनाएँ तलाशनी शुरू कर दी थीं। जानकारों का कहना है कि डिफेंस मिनिस्ट्री की हरी झण्डी मिलने के बाद कर्मचारियों-अधिकारियों की एक टीम को प्रशिक्षण के लिए अवाडी और मेडक रवाना किया गया।

अब तक इस तरह से दो बैच टैंकों के मेंटेनेंस पर ए-टू-जेड ट्रेनिंग हासिल कर पूरी तरह तैयार हो चुके हैं।

टेस्ट ट्रैक पर होगी टेस्टिंग

टैंकों के मेंटेनेंस के लिए वीएफजे को चुनने के पीछे यहाँ मौजूदा संसाधनों को बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि आर्म्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (एवीएनएल) में शामिल वीएफजे में पहले से ही आयुध वाहनों का इंफ्रास्ट्रक्चर है।

इसके अलावा टैंकों को मैदानी और दुर्गम परिस्थिति में टेस्ट करने के लिए टेस्ट ट्रैक भी पहले से बना हुआ है। टैंकों के परीक्षण के लिहाज से इसमें हाल ही में कुछ जरूरी बदलाव भी किए गए हैं।

खूबियाँ भी बड़ी तादाद में

टी-90 टैंक 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चल सकता है। इसकी ऑपरेशनल रेंज 550 किलोमीटर है।

भारतीय सेना तीसरी पीढ़ी के दो वेरिएंट टी-90एस भीष्म और टी-90एसएम ऑपरेट करती है।

आर्मी के बेड़े में इस कैटेगरी के तकरीबन 1,200 से ज्यादा हैं। वीएफजे को पर्याप्त लोड मिल सकेगा।

इस वर्जन के टैंक की एक और खासियत है कि यह जैविक और रासायनिक हथियारों से निपटने में सक्षम है।

इन टैंकों की गिनती दुनिया के आधुनिक टैंकों में होती है। इसमें तीन जवानों का क्रू ऑपरेट करता है।

यह 2 किलोमीटर तक की रेंज में हेलीकॉप्टर को भी मार गिरा सकते हैं। इसके लिए टैंक में सबसे ऊपर एंटी एयरक्राफ्ट गन लगी है।

गन को मैन्युअली और रिमोट दोनों तरह से चलाया जा सकता है। गन एक मिनट में 12.7 एमएम की 800 गोलियाँ दाग सकती है।

Created On :   8 July 2024 7:12 PM IST

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