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जबलपुर: कॉर्निया, किडनी, लीवर की तरह अब डोनेट कर सकेंगे स्किन
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
कॉर्निया, किडनी, लीवर, हार्ट जैसे शरीर के अंगों की तरह ही अब जरूरतमंद मरीजों को त्वचा भी डाेनेट की जा सकेगी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में इसके लिए स्किन बैंक तैयार किया गया है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के शासकीय मेडिकल कॉलेजों में यह पहला स्किन बैंक है, जहाँ मृत्यु के उपरांत स्किन को सुरक्षित रखा जा सकेगा। स्किन बैंक का फायदा सबसे ज्यादा उन मरीजों को मिलेगा जो गंभीर रूप से जल जाते हैं, उनके लिए यह जीवन रक्षक की तरह है। कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए स्किन डोनेशन का संकल्प ले सकता है अथवा मृत्यु के बाद परिवार वालों की इच्छा अनुरूप भी स्किन डोनेट की जा सकती है। जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में स्किन बैंक बनाने में करीब 10 लाख रुपयों का खर्च आया है। बैंक में अत्याधुनिक मशीनों के साथ स्किन को सुरक्षित रखने के लिए विशेष तरह के फ्रीजर हैं। बीते हफ्ते ही निरीक्षण के बाद स्किन बैंक को अप्रूवल मिल गया है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज में हर साल अग्नि हादसों के शिकार 300 से 350 मरीज पहुँचते हैं।
5 साल तक बैंक में प्रिजर्व रहेगी स्किन
प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. पवन अग्रवाल ने बताया कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद स्किन प्रिजर्व की जा सकती है। पैर और पीठ के हिस्से से ही स्किन को निकाला जाता है। नैचुरल डेथ के केस में यह प्रक्रिया घर जाकर भी की जा सकती है। इसके लिए टीम भी तैयार की गई है। मृत्यु होने के बाद 12 घंटे तक और फ्रीजर में रखे जाने पर 24 घंटे के अंदर स्किन प्रिजर्व की जा सकती है। स्किन बैंक में इसे 5 वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस बैंक के लिए संभाग कमिश्नर अभय वर्मा व डीन डॉ. गीता गुईन का सहयोग मिला।
बैंक तैयार, अब जागरूकता की जरूरत
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि बैंक की फंक्शनिंग शुरू हो गई है। अब स्किन डोनेशन के लिए अवेयरनेस क्रिएट कर रहे हैं, ताकि लोग इस दिशा में जागरूक होकर आगे आएँ और त्वचा दान करें। मेडिकल कॉलेज की मर्चुरी में आने वाले शवों की स्किन प्रिजर्व करने के लिए भी परिजनों से बात की जाएगी और उन्हें इसका महत्व बताया जाएगा। उनकी सहमति के बाद स्किन को सुरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा सामाजिक जागरूकता के लिए भी आयोजन किए जाएँगे।
ये भी जानें
ब्लड की तरह किसी तरह की मैचिंग की जरूरत नहीं होती है, कोई भी स्किन किसी भी मरीज को लगाई जा सकती है।
सीवियर बर्न केस में डोनेट की हुई स्किन लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।
डोनेट की हुई स्किन मरीज के घाव पर एक माह से डेढ़ माह तक रहती है, तब तक मरीज गंभीर स्थिति से बाहर आ चुका होता है।
एक व्यक्ति के स्किन डोनेशन से 20 से 25 मरीजों को लाभ मिल सकता है।
Created On :   8 Nov 2023 1:11 PM IST