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जबलपुर: नो मैन होल सीवर चैम्बर पाॅलिसी का नोटिफिकेशन 10 दिन में होगा
- सीवर चैम्बर की सफाई में श्रमिकों की मौत का मामला
- स्वत: संज्ञान के आधार पर हो रही है जनहित याचिका की सुनवाई
- सीवर चैम्बर साफ करने गए दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गए
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की ओर से बताया गया कि नो मैन होल सीवर चैम्बर पाॅलिसी का नोटिफिकेशन 10 दिन में कर दिया जाएगा।
चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने जवाब को रिकाॅर्ड पर लेकर मामले में कोर्ट मित्र बतौर अधिवक्ता आकाश चौधरी की नियुक्ति कर दी। यह मामला ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव से दो श्रमिकों की मौत से संबंधित है, जिसके बाद हाई कोर्ट ने संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है।
हाई कोर्ट ने कहा था कि यह दिल दहला देने वाली घटना थी। सीवर चैम्बर साफ करने गए दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गए। बचाव के प्रयास के बावजूद भी मदद पहुँचने से पहले उनकी मौत हो गई।
इसी तरह की घटनाएँ मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं। गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। ऐसे कार्यकर्ता समाज के निचले तबके से आते हैं।
याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित कानून सीवेज, नाली, सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए उतरने से पहले सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक है।
अफसोस की बात यह है कि यदि कोई व्यक्ति सुरक्षात्मक गियर पहनता है और उचित सुरक्षा सावधानियाँ बरतता है और उसके पास उचित उपकरण हैं, तो उसे मैनुअल स्कैवेंजर नहीं माना जाएगा।
सामूहिक प्रतिबद्धता और निरंतर सुधार के माध्यम से, समान घटनाओं को रोकना और श्रमिकों को नुकसान से बचाना अनिवार्य है। लापरवाही के मामलों में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जा सकती है।
Created On :   8 Feb 2024 12:44 PM GMT