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जबलपुर: लाइन स्टाफ की भर्ती हो गई फिर भी उपभोक्ताओं की परेशानी में कमी नहीं
- महिला लाइनकर्मी व परीक्षण सहायकों से कराए जा रहे दूसरे काम
- महिला कार्मिक लाइन स्टाफ हैं लेकिन वास्तव में लाइन कर्मियों के पद खाली हैं।
- ट्रांसमिशन कंपनियों के द्वारा 2014 में परीक्षण सहायकों की भर्ती की गई थी।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बिजली कंपनियों में जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए दस साल पहले नई भर्ती की गई थी, वो उद्देश्य आज भी अधूरा है, क्योंकि बिजली कंपनियों ने लाइन पर कार्य करने के लिए महिला कार्मिकों तथा सब-स्टेशनों के लिए परीक्षण सहायकों की भर्ती की थी। इन कार्मिकों से पद अनुरूप मूल कार्य की बजाय अन्य कार्य कराए जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में लाइन पर कार्य करने के लिए संविदा एवं नियमित पदों पर महिलाओं की भर्ती की गई थी।
इन महिला कार्मिकों को बंद लाइन में पोल पर चढ़कर कार्य करना होता है, इसके अलावा मेंटेनेंस का कार्य भी करना होता है लेकिन लाइन स्टाफ के लिए भर्ती की गईं संविदा एवं नियमित महिला कार्मिकों से पद के अनुरूप कार्य न कराते हुए उनसे ऑफिस में बाबूगिरी कराई जा रही है।
रिकाॅर्ड में लाइन स्टाफ, वास्तव में खाली
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस व्यवस्था से लाइन का काम करने वालों का नुकसान हो रहा है। कार्यालय के रिकॉर्ड में तो ये महिला कार्मिक लाइन स्टाफ हैं लेकिन वास्तव में लाइन कर्मियों के पद खाली हैं।
लाइन कर्मियों की कमी के चलते उपभोक्ता सेवा तथा अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस संबंध में संघ की ओर से बिजली कंपनियों के प्रबंधन को पत्र भी लिखा गया है। इसमें माँग की गई है कि लाइन स्टाफ के लिए भर्ती की गईं महिला कार्मिकों एवं प्रशिक्षण सहायकों से पद के अनुरूप कार्य कराए जाएँ।
परीक्षण सहायक कर रहे राजस्व वसूली
इसी तरह से सब-स्टेशनों से ऑपरेटर लगातार सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऑपरेटर की अत्यधिक कमी होने की वजह से वितरण एवं ट्रांसमिशन कंपनियों के द्वारा 2014 में परीक्षण सहायकों की भर्ती की गई थी। प्रशिक्षण सहायकों से पद के अनुरूप कार्य नहीं कराते हुए उनसे बाबूगिरी, राजस्व वसूली एवं मीटर रीडिंग आदि कार्य कराये जा रहे हैं।
Created On :   11 March 2024 9:52 AM GMT