Jabalpur News: जबलपुर में चल रही किंग कोबरा की खोजबीन, नर्मदा बेल्ट पर विशेष फोकस

  • मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर कई टीमें सक्रिय
  • इसका जिम्मा वाइल्ड लाइफ से जुड़ी कुछ निजी व स्वयंसेवी संस्थाओं को सौंपा गया है।
  • किंग कोबरा को कई बार सार्वजनिक जगहों पर भी देखा गया था।

Jabalpur News: किंग कोबरा नाम सुनते ही लोगों के मन-मस्तिष्क में एक भयानक साँप की छवि सामने आ जाती है। किंग कोबरा को लेकर कई धार्मिक मान्यताएँ भी हैं, खासकर भगवान शिव और उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल से जुड़ी कहानियों में इसका जिक्र विशेष रूप से आता है। शायद यही वजह है कि विलुप्त हो रहे किंग कोबरा के संरक्षण के प्रति प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विशेष रुचि दिखाई है, जिसके बाद से प्रदेश के कई जिलों के साथ जबलपुर में भी इसकी खोजबीन की जा रही है।

हालाँकि अभी इसका जिम्मा वाइल्ड लाइफ से जुड़ी कुछ निजी व स्वयंसेवी संस्थाओं को सौंपा गया है। वन विभाग के अधिकारियों को इसके संबंध में जानकारी तो है, लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्हें किसी तरह का पत्र नहीं मिला है।

नर्मदा बेल्ट पर सक्रिय हैं कई टीमें

सूत्रों के अनुसार किंग कोबरा करीब 15 वर्ष पूर्व नर्मदा नदी के तिलवाराघाट से लगे घाटों पर देखा जा चुका है। दरअसल पूर्व में गुजरात, आंध्रप्रदेश समेत अन्य राज्यों से सपेरे नागपंचमी के अवसर पर इन्हें लेकर जबलपुर तक आते थे, और इनका प्रदर्शन करते थे। लेकिन जब से साँपों को संरक्षित प्रजाति का दर्जा मिला, तब से इनके प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई थी। इसी वजह से कई सपेरे इन्हें नर्मदा नदी के किनारों पर छोड़कर चले गए थे।

जिसके बाद किंग कोबरा को कई बार सार्वजनिक जगहों पर भी देखा गया था। इसी वजह से नर्मदा बेल्ट में इनकी खोजबीन की जा रही है। वन्य प्राणी विशेषज्ञ व साँपों के संरक्षण को लेकर लंबे समय से काम कर रहे मनीष कुलश्रेष्ठ से किंग कोबरा की खोज में जुटी उज्जैन व इंदौर की टीमों ने इस संबंध में संपर्क किया है।

किंग कोबरा की खोजबीन को लेकर आधिकारिक तौर पर हमें किसी भी तरह का पत्र नहीं मिला है। अगर इस संबंध में कोई आदेश आता है, तो उसका गंभीरता से पालन किया जाएगा।

- ऋषि मिश्र, डीएफओ जबलपुर

दलदली स्थानों में विचरण करता है किंग कोबरा

किंग कोबरा साँप की सबसे खतरनाक प्रजाति मानी जाती है। ये ज्यादातर अफ्रीका के घने जंगलों में ही पाए जाते हैं। 15 फीट से ज्यादा की लंबाई और करीब 70 से 100 किलो वजनी किंग कोबरा के जहर का आज तक वैक्सीन नहीं बन पाया है। हालाँकि किंग कोबरा प्रजाति के साँप अपनी शारीरिक बनावट के कारण सूखे स्थानों की जगह दलदली स्थानों में रहना पसंद करते हैं, इसके अलावा जलीय जंतुओं का ही शिकार करते हैं।

जानकारों के अनुसार तिलवारा से लगे चूल्हा गोलाई के आसपास काफी संख्या में अजगर के साथ अन्य प्रजाति के बड़े साँप मिलते थे, लेकिन जब से हाईवे का निर्माण हुआ तब से यहाँ के साँप-अजगरों ने अपने विचरण का स्थान बदल लिया है।

Created On :   30 Jan 2025 7:38 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story