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Jabalpur News: कालाबाजारी, 18 सौ से दो हजार तक में बिक रही खाद, केन्द्रों में रिकाॅर्डतोड़ भीड़
- आपूर्ति नहीं होने से बिगड़े हालात, 1350 रुपए निर्धारित है मूल्य, किसानों में आक्रोश
- किसान इन दिनों कुछ अधिक संख्या में पहुँच रहे हैं जिससे परेशानी हो रही है।
- किसानों में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है और किसी भी दिन यह विस्फोटक रूप ले लेगा।
Jabalpur News: 1350 रुपए प्रति बैग में बिकने वाली डीएपी खाद इन दिनों बाजार में 18 सौ से 2 हजार रुपयों में बिक रही है। साधारण किसानों को एक-एक बोरी खाद के लिए तरसाया जा रहा है जबकि एप्रोच वालों के खेतों तक चुपचाप दर्जनों बोरियाँ पहुँच रही हैं।
जैसे-जैसे किसानों को खाद की जरूरत पड़ रही है उनमें बेचैनी भी बढ़ रही है जिससे वे रात में ही खाद विक्रय केन्द्र पहुँच जाते हैं और पूरा दिन वहीं खड़े रहते हैं। किस्मत अच्छी रही तो दो-चार बोरी खाद मिल जाती है वरना खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ता है। अब किसानों में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है और किसी भी दिन यह विस्फोटक रूप ले लेगा।
पनागर तहसील के गुरुजी खाद वितरण केन्द्र में इन दिनों इतने किसान उमड़ रहे हैं कि वहाँ खड़े होने की जगह भी नहीं मिल रही है। अँधेरे में ही लाइन लग जाती है और लोग अपने दस्तावेज रख देते हैं। वहीं बाजार में खाद की जमकर कालाबाजारी हो रही है। किसानों को मनमाफिक दामों पर विक्रय की जा रही है। डीएपी की मूल कीमत 1350 रुपए प्रति बैग है लेकिन 18 सौ से लेकर 2 हजार रुपयों तक में विक्रय किया जा रहा है।
डीएपी की वितरण व्यवस्था चरमराई
भारतीय किसान संघ के प्रांत महामंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने डीएपी की कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए कहा कि शासन द्वारा वितरित की जाने वाली डीएपी की वितरण व्यवस्था चरमरा गई है। सभी खाद वितरण केंद्रों पर घंटों लाइन में लगने के बाद भी एक बोरी डीएपी खाद मिलना मुश्किल है। वहीं दूसरी ओर निजी इनपुट डीलर के पास डीएपी की भरमार है और वह उसे अपने हिसाब से बेच रहा है, प्रश्न उठता है कि जब डीएपी की शॉर्टेज है तो बाजार में कैसे मिल रही है। संघ ने कलेक्टर से माँग की है कि इस मामले की जाँच कराई जाए।
इसलिए जरूरी है डीएपी खाद
डीएपी आधार खाद है, जब बीज खेत में बोया जाता है तो बीज के स्वस्थ जर्मिनेशन, जड़ों के विकास के लिए इसे किसान खेत में डालता है। इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन व 46 प्रतिशत फास्फोरस की मात्रा होती है। इसे प्रति एकड़ 50 किलोग्राम उपयोग किया जाता है और यही कारण है कि इन दिनों मटर की बुआई में इसकी बेहद जरूरत है।
जिले में लगातार डीएपी का वितरण किया जा रहा है
1 नवम्बर को भी जिले में 2780 मीट्रिक टन डीएपी की रैक लगी थी। किसान इन दिनों कुछ अधिक संख्या में पहुँच रहे हैं जिससे परेशानी हो रही है। जिले में 3 हजार एमटी एनपीके भी उपलब्ध है और किसानों को लगातार सुझाव दिया जा रहा है कि वे एनपीके का भी उपयोग करें लेकिन वे डीएपी ही माँग रहे हैं। बुधवार को फिर डीएपी की आवक होगी।
- एसके निगम, उप-संचालक कृषि
Created On :   6 Nov 2024 1:09 PM GMT