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Jabalpur News: टीन की दीवार भी नहीं रोक पा रही धूल के गुबार आधा दर्जन काॅलोनीवासियों का जीना हुआ दूभर
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- कछपुरा मालगोदाम से उपजी इस समस्या से लोगों को निजात दिलाने पक्की सड़क और वॉटर कर्टेन ही उपाय
- खुले स्पेस में कांक्रीट कराया जाए तो मिल सकती है कुछ राहत
- कछपुरा मालगोदाम पश्चिम मध्य रेलवे के अधीन आता है और यह साइडिंग पमरे की कमाई का बहुत बड़ा जरिया है।
Jabalpur News: रेलवे के कछपुरा मालगोदाम से उड़ती धूल यहां के लोगों की परेशानी लगातार बढ़ा रही है। यहां सड़क से उड़ती धूल अौर डम्पिंग के दौरान उड़ता डस्ट जहां आवागमन में बाधक बन रहा है, तो वहीं आसपास की आधा दर्जन काॅलोनियों के लिए तो यह नासूर बन गया है। रेलवे द्वारा इन काॅलोनियों से सटाकर करीब 20 फीट ऊंची टीन की दीवार भी बनाई गई है। यह दीवार भी धूल के गुबार को नहीं रोक पा रही। लोगों के घरों में धूल इस कदर भर रही है कि मानों तेज आंधी से धूल उड़कर आ गई है। घर के बाहर खड़े वाहन कुछ ही समय में धूल में सन जाते हैं।
पेड़ों और पत्तियों में धूल अलग नजर आ रही है। यहां के लोग चाहें कि शाम के वक्त घर के आंगन या फिर छत पर बैठ जाएं तो यह संभव ही नहीं, क्योंकि यहां दिन के अलावा शाम के वक्त भी वाहनों की आवाजाही के कारण धूल उड़ती रहती है। कुछ लोग तो कार व अन्य वाहन घर के बाहर खड़े करने की बजाय दूर-दराज क्षेत्रों में खड़े कर रहे हैं। अब जिस तरह से दिन में गर्मी का माहौल बन रहा है ऐसे में घर के बाहर मुंह बांधकर या फिर सिर ढककर ही निकला जा सकता है।
इस सड़क से अगर लगातार दो से तीन बार निकल जाओ तो कपड़े भी गंदे हाे रहे हैं। काॅलोनीवासियों का कहना है कि टीन की दीवार से धूल के गुबार को रोका नहीं जा सकता। पक्की सड़क और वॉटर कर्टेन ही एक उपाय है। इसके अलावा ट्रैक के समीप जो खाली स्पेस है उसका भी कांक्रीटीकरण कराया जाना चाहिए।
कमाई के फेर में गढ़ा में शिफ्टिंग नहीं
कछपुरा मालगोदाम पश्चिम मध्य रेलवे के अधीन आता है और यह साइडिंग पमरे की कमाई का बहुत बड़ा जरिया है। यहां खाद्यान्न के अलावा सीमेंट और आयरनओर की भी लोडिंग व अनलोडिंग होती है, जिससे पश्चिम मध्य रेल इसे हर हाल में यहां रखना चाहता है, जबकि लोगों का कहना है कि भले ही यहां से खाद्यान्न की लोडिंग हो मगर सीमेंट अौर आयरनओर की लोडिंग के लिए गढ़ा मालगोदाम का उपयोग किया जाना चाहिए। इस शिफ्टिंग से नुकसान पमरे को होगा, क्योंकि गढ़ा साइडिंग दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे(एसईसीआर) के अधीन आता है। अगर इसे यहां शिफ्ट कर दिया गया तो पमरे की बड़ी कमाई का जरिया एसईसीआर को चला जाएगा। कमाई के इस पेंच के चलते ही इसे कछपुरा से गढ़ा शिफ्ट नहीं किया जा रहा है।
टीन की दीवार काफी नहीं धूल से बचाने
यहां से उड़ती धूल के कारण लोगों को जो परेशानी हो रही है वह रेलवे के अधिकारियों को नजर नहीं आ रही। रेलवे द्वारा टीन शेड लगाकर जो दीवार बनाई गई है उससे धूल नहीं रुक रही। यहां सड़क को पक्की किया जाना जरूरी है।
अभिषेक जैन
वाॅटर कर्टेन से ही समस्या का समाधान
रेलवे द्वारा यहां वॉटर कर्टेन लगाया जाना चाहिए, जिस तरह से यहां धूल उड़ रही है उसे किसी तरह का अस्थाई पर्दा लगाकर नहीं रोका जा सकता। इसके लिए तो वॉटर कर्टेन या फिर सड़क को पक्की बनाना जरूरी है।
राजेश बडगे
खुले स्पेस से ज्यादा परेशानी
साइडिंग ट्रैक और काॅलोनी के बीच रेलवे का काफी बड़ा हिस्सा खुला हुआ है। जहां बोल्डर और खुली सामग्री भी पड़ी है। धूल से भरे इस खुले स्पेस से जैसे ही भारी वाहन गुजरते हैं तो धूल उड़ने लगती है, जो लोगों के घरों तक पहुंच रही है।
ललित उपाध्याय
घर के बाहर तक नहीं बैठ पाते
यहां इतनी अधिक धूल उड़कर घर-आंगन तक पहुंच रही है कि घर के बाहर तक नहीं बैठ पाते। इस समस्या का सही उपाय तो यह है कि यहां पक्की सड़क बना दी जाए, तभी कुछ राहत मिल सकती है।
श्रीमती सुशीला बाई
Created On :   19 Feb 2025 1:35 PM IST