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बंधन से अलग होना जरूरी ताकि पति शेष जीवन शांति से गुजार सके
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
कुटुंब अदालत ने एक मामले में माना कि पत्नी की लगातार प्रताड़ना से पति परेशान था, इसलिए उसका शांति से शेष जीवन बसर के लिए विवाह बंधन से अलग होना जरूरी है। इस मत के साथ प्रधान न्यायाधीश केएन सिंह की अदालत ने पति की विवाह विच्छेद की याचिका मंजूर कर ली। गढ़ा फाटक निवासी दीपक विश्वकर्मा की ओर से अधिवक्ता रजनीश जायसवाल, अमित सोंधिया व मोनिका गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की पत्नी 2015 से लगातार प्रताड़ित कर रही थी। इससे तंग आकर विवाह विच्छेद की माँग करनी पड़ी। इस बीच मेल-मिलाप, सुलह के हरसंभव प्रयास किए गए। पुनर्वास के संबंध में भी कार्यवाही की गई लेकिन पत्नी के साक्ष्य व आचरण से प्रतीत होता है कि वह भविष्य में अपने विवाह को कायम रखने की इच्छुक नहीं है। वह पति को क्रूरतापूर्ण व्यवहार के जरिए शारीरिक व मानसिक तौर पर बेहद कष्ट दे चुकी है। ऐसे में याचिकाकर्ता का उसके साथ रहना संभव नहीं है। वह आगे का जीवन शांति से जीना चाहता है। उसका परिवार भी चाहता है िक कोर्ट से उसे राहत मिले। अदालत ने तर्क सुनने के बाद याचिकाकर्ता के हक में आदेश पारित कर दिया।
Created On :   4 July 2023 4:03 PM IST