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जबलपुर: एमएसएमई की भुगतान के लिए आयकर धारा-43बी अव्यावहारिक और असंगत
- महाकौशल चैम्बर ने नियम में संशोधन की माँग की
- भुगतान सुविधाओं को अलग-अलग समय-सीमा तय कर माल बेचा जाता है
- नए प्रावधान लाए जाने के उपरांत एमएसएमई उद्योगों में हड़कंप मचा हुआ है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। महाकौशल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की बैठक केंद्र सरकार द्वारा एमएसएमई के भुगतान 45 दिन में किए जाने के तारतम्य में आयकर अधिनियम की धारा-43बी के तहत भुगतान नियत अवधि में न किए जाने पर आयकर की सीमा में जोड़े जाने के प्रावधान से व्यापारी जगत में भ्रम एवं अनिश्चय की उत्पन्न स्थिति से है।
नए प्रावधान के परिप्रेक्ष्य में 45 दिवस में एमएसएमई को भुगतान किया जाना संभवत: लाभप्रद हो सकता है, परंतु छोटे उद्योग द्वारा अपने उत्पाद बेचने के लिए दी जाने वाली भुगतान सुविधाओं को अलग-अलग समय-सीमा तय कर माल बेचा जाता है जो की खरीददार एवं बिकवाल की आपसी सहमति से होता है।
यहाँ तक कि कई ऐसे ही प्रचलित ब्रांड की प्रतिस्पर्धा में एमएसएमई द्वारा उत्पादित माल को इस शर्त के साथ बेचा जाता है कि माल की बिक्री पर भुगतान किया जाए। केंद्र शासन द्वारा इस नए प्रावधान लाए जाने के उपरांत एमएसएमई उद्योगों में हड़कंप मचा हुआ है।
इस प्रावधान का कुप्रभाव उनके उत्पादित माल की खरीदी समाप्ति होने कि स्थिति निर्मित न हो। बैठक में वरिष्ठ सीए अनिल गुप्ता व अधिवक्ता राजीव नेमा ने सुझाव दिया कि व्यापार के लिए सरल नीति लाई जानी चाहिए।
बैठक में चैंबर अध्यक्ष रवि गुप्ता, सीए अनिल कुमार गुप्ता, एड. राजीव नेमा, उपाध्यक्ष राजेश चंडोक, हेमराज अग्रवाल, शंकर नाग्देव, युवराज जैन गढ़ावाल, अनूप अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, राजा सराफ, अभिषेक जैन, हेमन्त कुमार अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
Created On :   15 March 2024 1:33 PM GMT