जबलपुर: तालाबों को नया जीवन देकर संरक्षित किया जा सकता है भूजल

तालाबों को नया जीवन देकर संरक्षित किया जा सकता है भूजल
  • जिला पंचायत की एक दिनी कार्यशाला, लेक मैन ने तालाबों को नया जीवन देने की जरूरत बताई
  • बिना प्रशासन का सहयोग लिए तालाबों के पुनर्जीवन का कार्य कठिन है।
  • निर्देशन में तालाब का पुनर्जीवन विषय पर आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किए।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। किसी भी शहर में यदि उसके पुराने जलस्त्रोत जीवित हैं तो निश्चित ही वहाँ भूजल अधिक नीचे नहीं जा सकता, लेकिन कुएँ, तालाब, बावली आदि को समाप्त कर दिया गया हो ताे यह तय है कि वहाँ जमीन के नीचे का पानी या तो खत्म हो गया होगा या खत्म होने वाला होगा।

बेहतर है कि समय के साथ हम अपने पुराने जलस्त्रोतों को भी नया जीवन दें और उनके साथ विकास की इबारत लिखें। उपरोक्त विचार लेकमैन आनन्द मल्लिगावड़ ने मंगलवार को मानस भवन में जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती जयति सिंह के निर्देशन में तालाब का पुनर्जीवन विषय पर आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किए।

दक्षिण भारत में लेकमैन के नाम से फेमस आनंद मल्लिगावड़ द्वारा कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को बताया गया कि उनके द्वारा कैसे वर्ष 2015 से इस कार्य को करने की प्रेरणा मिली और वो अपने जॉब को छोड़कर क्यों इस कार्य को करने के लिए आगे आए।

उनके द्वारा यह भी बताया गया कि किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और कैसे लोगों को इस कार्य करने के लिए अपने साथ जोड़ा गया। कार्यशाला में सीईओ जिला पंचायत जयति सिंह, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी मनोज कुमार सिंंह, सहित जिले के समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, सहायक यंत्री, उपयंत्री, ब्लाॅक समन्वयक, एसबीएम, समस्त ग्राम पंचायतों के सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, जलसंसाधन विभाग एवं अशासकीय संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

बोरवेल खनन के लिए स्थान का चयन मुख्य

भूमि जल संरक्षण बोर्ड भोपाल के वैज्ञानिक डाॅ. राकेश सिंह द्वारा बोरवेल और अंडरग्राउण्ड वाॅटर रिचार्ज पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया गया। उनके द्वारा बताया गया कि बोरवेल खनन के दौरान किन-किन बातों को ध्यान में रखा जाए जिससे पानी की उपलब्धता बनी रहे।

इस दौरान उन्होंने बोरवेल खनन के लिए स्थान चयन के साथ अन्य विभिन्न पहलुओं के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। जिससे की बोरवेल फेल न हो।

तालाबों को सँवारने प्रशासन का सहयोग जरूरी

लेक मैन श्री आनन्द ने बताया कि बिना प्रशासन का सहयोग लिए तालाबों के पुनर्जीवन का कार्य कठिन है। यह अलग बात है कि उन्होंने कुछ तालाबों को सँवारा लेकिन जरूरी है कि प्रशासन का सहयोग लिया जाए।

बेंगलुरु जहाँ का भूमिगत जल लगभग सूख चुका है वहाँ हमने कुल 36 लेक का पुनरुत्थान किया। उन्होंने कहा कि जल में भी जीवन होता है, अत: सभी लोग जल संरक्षण की दिशा में कार्य करें और तालाबों को पुनर्जीवित करें। यह कार्य भावी पीढ़ी के लिए बहुत लाभकारी होगा।

उनके द्वारा प्रस्तुतीकरण के द्वितीय भाग में तकनीकी विकल्प के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया।

Created On :   8 May 2024 4:50 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story