जबलपुर: जाखोदिया मिनरल्स के ओवर बर्डन से बर्बाद हो गई चार हेक्टेयर की सरकारी नर्सरी

जाखोदिया मिनरल्स के ओवर बर्डन से बर्बाद हो गई चार हेक्टेयर की सरकारी नर्सरी
  • बिना अनुमति मलबा डालने से पेड़ों का घुट रहा दम
  • हाइवा-डंपर के आने-जाने सडक़ बनाने से भी हुआ काफी नुकसान

डिजिटल डेस्क,जबलपुर/गांधीग्राम।

धमकी में आयरन ओर की खदान संचालित कर रही जाखोदिया मिनरल्स ने न सिर्फ माइंस के अंदर के पानी को बाहर छोडऩे और बेनिफिकेशन प्लांट तक ले जाने नियम ताक पर रखे बल्कि ओवर बर्डन (ओबी) को लेकर भी इसके द्वारा लापरवाही बरती गई। जाखोदिया प्रबंधन ने पहले ग्राम पंचायत से एनएच 30 से लगी सरकारी नर्सरी (रामपुर टोला) की तरफ खदान की सीमा के अंदर ओबी रखने की अनुमति ली। उसके बाद धीरे-धीरे खदान की सीमा से बाहर सरकारी नर्सरी में इसे डाला जाने लगा। बारिश, हवा तथा ओबी के करीब 200 फीट ऊंचे पहाड़ों को व्यवस्थित बनाए रखने उस पर चलाई जा रही जेसीबी/पोकलेन की वजह से मलबा पहाड़ों से नीचे खिस कर नर्सरी में काफी अंदर तक आ गया है। इससे बांस व सागोन सहित आम, महुआ, नीम, नीलगिरी, कंजी, चिरहुल आदि के पेड़ों को नुकसान पहुंचा। कंपनी प्रबंधन द्वारा नियम ताक पर रख, खदान संचालित करने का आलम यह है कि खदान के लिए अधिग्रहित भूमि के सीमांकन के चिन्ह् तो क्या, नर्सरी की तरफ तार फेंसिंग तक नहीं दिखी। लिहाजा मवेशियों के खदान में चले जाने तथा उसमें भरे पानी में डूबने का अंदेशा बना रहता है।

नर्सरी के अंदर 6 फीट चौड़ी कच्ची सडक़ बना दी

करीब 4 दशक पहले खसरा नंबर 1542 (रामपुर टोला-गांधीग्राम) में बनी सरकारी नर्सरी के निरीक्षण के दौरान अंदर पेड़ों को काटे जाने के चिन्ह् तो दिखे ही, भारी वाहनों की आवाजाही के लिए करीब 15 फीट चौड़ा तथा करीब 250 मीटर लंबा कच्चा रास्ता भी बना मिला। करीब 6 महीने पहले इस मार्ग को बनता देखने वाले राजेश तथा द्वारका केवट बताते हैं कि खदान संचालकों ने इसे एक तरह से डंपिंग यार्ड बना लिया है। बारिश के दिनों में और कभी-कभी खदान का पानी नर्सरी की तरफ से छोड़े जाने के कारण, नर्सरी के साथ नर्सरी के पीछे बने मकानों में गंदा पानी और उसके साथ बहकर आई टेली (आयरन ओर निकाले जाने के बाद सबसे आखिर मेें बचा मलबा) घुस गया था। साथ में मौजूद पूर्व जिला पंचायत सदस्य ज्वाला दुबे ने बताया कि हाइवा, डंपर आदि आसानी से नर्सरी के अंदर आकर मलबा फेंक सकें और घूम कर वापस धमकी जाने वाले कच्चे मार्ग तक पहुंच सकें, इसके लिए वाहनों को घुमाने-फिराने बड़ी जगह तक निकाली गई है। उन्होंने कहा, नि:संदेह यहां पेड़ भी काटे गये हैं। पेड़ काटे बिना नर्सरी के अंदर से गांव वालों के आने-जाने के लिए बनी पगडंडी, इतने लंबे-चौड़े रास्ते में तब्दील नहीं हो सकती है।

फिलहाल ओबी डालने कंपनी के पास कोई जगह नहीं

खसरा नंबर 322,2/2 (धमकी) 6.88 हेक्टेयर में जाखेदिया मिनरल्स को स्वीकृत आयरन ओर की खदान के सीमा भीतर अब ओबी रखने जगह नहीं बची है। कंपनी ने सन् 2017 में, पूर्व में इसे दो वर्ष के लिए स्वीकृत 2/2 के रिक्त भाग 1.74 हेक्टेयर पर ओबी डालने प्रशासन से अनुमति ली थी। इस अनुमति का भी नवीनीकरण नहीं कराया गया। इस समय कंपनी के पास ओबी रखने कोई स्वीकृत स्थान नहीं है। खदान की सीमा के बाहर जहां-जहां भी इसने ओबी या टेली डाली है वह अनाधिकृत है। इस संबंध में कपनी के माइंस मैनेजर विनय झा का कहना रहा कि प्रशासन से रानीताल में ओबी डालने जगह आवंटित किए जाने आवेदन लगाया हुआ है। सरकारी नर्सरी को लेकर कंपनी के विवादों में घिरने के सवाल पर श्री झा ने कहा, हमारे द्वारा नर्सरी की नापजोख का आवेदन करने पर विवाद और बढ़ेगा। प्रशासन इसके लिए स्वतंत्र है। वह चाहे तो नर्सरी की जमीन कंपनी को आवंटित कर दे। नर्सरी में रास्ता बनाये जाने को उन्होंने जनसुविधा का नाम दिया।

नर्सरी और बुढ़ानसागर दोनों के अतिक्रमण हटेंगे

गांधीग्राम की सरकारी नर्सरी के मामले में टीम गठित कर दी गई है। चुनाव बाद नपाई कर नर्सरी के हिस्से को सुरक्षित किया जाएगा। नर्सरी के अलावा अन्य कहीं भी सरकारी जमीन पर यदि बिना अनुमति ओवर बर्डन डाला गया है तो उसे हटवाया जाएगा और खदान संचालक पर कार्रवाई की जाएगी। बुढ़ानसागर तालाब की भी नापजोख कराई जाएगी। इसकी जद में जो भी खेतिहर या अन्य कब्जे होंगे उन्हें हटवाया जाएगा।

- धीरेन्द्र सिंह, एसडीएम (सिहोरा)

Created On :   30 Nov 2023 12:10 PM GMT

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