जबलपुर: 75 फीसदी सड़क बदहाल उसके बाद भी 3 साल से धड़ल्ले से मण्डला रोड पर टोल की हो रही वसूली

75 फीसदी सड़क बदहाल उसके बाद भी 3 साल से धड़ल्ले से मण्डला रोड पर टोल की हो रही वसूली
  • मंत्रालय की गाइड लाइन कुछ, वसूली कुछ और तरीकों से की जा रही
  • एक नहीं दोनों हिस्सों में 5 से 7 किमी चलने के बाद वाहन चालक टोल देता है
  • लोगों का कहना- इस हिस्से में टोल तुरंत बंद हो

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जबलपुर से मण्डला सड़क दो हिस्सों में कुल 85 किलोमीटर है, जिसमें से पहला हिस्सा 22 किलोमीटर का बना है और 63 किलोमीटर की सड़क बदहाल, बदतर और दुखदायी हालात में है।

इस हाईवे पर जनता के साथ घोर अन्याय और पीड़ाजनक स्थिति यह है कि रिकॉर्ड में 75 फीसदी हिस्सा खराब होने के बाद इस मार्ग पर आते और जाते वक्त टोल की वसूली बीते 3 सालों से की जा रही है।

किसी चिकनी, सपाट और सुविधाजनक सड़क पर जनता को टोल देने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन जब मार्ग ही गड्ढों और हिचकोले से भरा हो तो उसमें टोल की वसूली परेशानी बढ़ा रही है।

इस सड़क में डोबी गाँव नागाघाटी से उतरते ही बरेला से आगे टोल वसूला जाता है तो यहाँ से एकता चौक के अंडर व्हीकल पास से कुछ किलोमीटर बाद टोल काट लिया जाता है। इस तरह हाईवे में दोनों हिस्सों में केवल 5 से 7 किलोमीटर चलने में ही टोल ले लिया जाता है।

लोगों का कहना है कि सड़क यदि कुछ बेहतर हो तो टोल टैक्स जनता स्वीकार भी करती है लेकिन जब आगे का हिस्सा पूरी तरह से बेहाल है उसमें ऐसी टैक्स वसूली जनता से सीधे तौर पर बेवजह उगाही से कम नहीं है। बरेला टोल को लेकर अधिकारियों का कहना है कि यह मंत्रालय का निर्णय है, इसलिए टोल लिया जा रहा है।

वाहनों की कतार, एक लेन बंद ही रखते हैं

अगर आपकी कार 100 मीटर से ज्यादा लंबी लाइन में फँसी है तो आपको बिना टोल चुकाए गाड़ी चलाने की इजाजत है यह भी मंत्रालय कहता है लेकिन बरेला टोल में लंबी कतारों में लगाकर वसूली की जा रही है।

10 सेकेंड से ज्यादा इंतजार करने पर आप बिना टैक्स दिए निकल सकते हैं, यह तक नियम है पर यहाँ इस नियम को लेकर कोई सुनवाई नहीं है। लंबी लाइनों में लगाकर टोल लिया जा रहा है।

एक एजेंसी ने बनाई, दूसरी वसूल रही

जबलपुर से मण्डला सड़क मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट काॅर्पोरेशन ने बनाई है। इसमें टोल की वसूली एनएचएआई कर रहा है। इसमें निर्माण एजेंसी एमपीआरडीसी थी, बनाने के बाद सड़क को एनएचएआई को ट्रांसफर किया गया है।

जिस हिस्से में टोल लिया जा रहा है उसको लेकर अधिकारियों का कहना है कि जो हिस्सा पहले बनकर तैयार हुआ है इसलिए उसमें टोल लिया जा रहा है वह भी सरकार के निर्देशों पर आरंभ किया गया है।

आदेश तो यह कहता है

केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय कहता है कि हाईवे पर 60 किलोमीटर के दायरे में टोल वसूला जाना चाहिए। इससे पहले या कम दूरी पर टोल नहीं लिया जाना चाहिए, इसको लेकर संसद में खड़े होकर उत्तर तक दिये जा चुके हैं लेकिन उसके बाद ऐसे टोलों पर उगाही नहीं थम सकी है।

पूरे संभाग में बरेला टोल अनोखा है जहाँ ज्यादातर सड़क बर्बाद होने के बाद भी टोल वसूला जा रहा है। लोगों का कहना है मंत्रालय को इस टोल पर वसूली तुरंत बंद करना चाहिए।

Created On :   15 March 2024 1:01 PM GMT

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