- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- प्लास्टिक कोटेड दोने न बनाएँँ,...
जबलपुर: प्लास्टिक कोटेड दोने न बनाएँँ, फैक्ट्री संचालकों को हिदायत
- नदी क्षेत्रों में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करें, दोना-पत्तल निर्माण इकाइयों का किया निरीक्षण
- सीएम हेल्पलाइन एप्लिकेशन को कोई भी नागरिक गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड और इंस्टाॅल कर सकता है।
- कलेक्टर दीपक सक्सेना ने नर्मदा घाटों व नदी संरक्षण के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मुसीबत की जड़ जहाँ हो उसे समाप्त भी वहीं किया जा सकता है। नदियों में यदि प्लास्टिक कोटेड दोनों से दीपदान हो रहा है और उसके कारण जल प्रदूषित हो रहा है तो बेहतर है कि लोगों को तो समझाया ही जाए, साथ ही ऐसे दोनों का निर्माण भी रोक दिया जाए, जिससे नदियों में प्लास्टिक पहुँच रही हो।
इसे देखते हुए कलेक्टर ने दोनों और पत्तलों का निर्माण करने वाली इकाइयों का निरीक्षण किया और सख्त हिदायत दी कि ऐसे दोने बनाए जाएँ, जिनमें प्लास्टिक का उपयोग न हो। फैक्ट्री संचालकों ने यह हिदायत मान ली और जल्द ही ऐसे दोने पहुँचेंगे जिनमें केवल कागज रहेगा।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने नर्मदा घाटों व नदी संरक्षण के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। गतदिवस ही उन्होंने निर्देश दिए थे कि नर्मदा तट के 300 मीटर के दायरे वाले सभी निर्माणाें और अतिक्रमणों का सर्वे कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
यह कार्य शुरू हो गया और अब कलेक्टर ने नर्मदा में प्रदूषण पर ध्यान दिया है। उन्होंने सबसे पहले दीपदान पर नजरें डालीं तो पता चला कि जिन दोनों के जरिए दीप नर्मदा के जल में बहाए जाते हैं उनमें प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है।
उसके बाद श्री सक्सेना पहुँच गए दोने और पत्तल बनाने वाली बल्देवबाग और कटंगी बायपास की निर्माण इकाइयों में। उन्होंने फैक्ट्री संचालकों से कहा कि दोनों में किसी भी कीमत पर प्लास्टिक का उपयोग न हो।
सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न हो-
कलेक्टर ने आम जनता और दुकानदारों से भी अपील की है कि नर्मदा के किनारों पर सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न किया जाए। कहीं न कहीं ये प्लास्टिक नर्मदा के जल में पहुँच जाते हैं, जिससे जल प्रदूषित होता है और जलीय जीवों के जीवन पर संकट छाता है ।
31 हजार में से 11 सौ बोरवेल फेल थे, इन्हें कैप लगाकर बंद कराया
असफल हुए बोरवेल को खुला छोड़ देने से अब तक कई बच्चों और जानवरों की जान जा चुकी है। इसे देखते हुए अब प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया है। सबसे पहले चेतावनी जारी की गई और उसके बाद कार्रवाई शुरू हुई।
अब तक करीब 11 सौ असफल बोरवेल को कैप लगाकर बंद कर दिया गया है और इसके बाद भी अब यदि कहीं खुले बोरवेल पाए जाते हैं तो खुदाई कराने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
जिला पंचायत के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी मनोज सिंह के मुताबिक जिला पंचायत की सीईओ श्रीमती जयति सिंह द्वारा जनपदों के माध्यम से जिले की सभी 527 ग्राम पंचायतों में बोरवेल, ट्यूबवेल का सर्वे कराया गया है।
उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान 31 हजार 86 बोरवेल में से ऐसे 1 हजार 119 असफल बोरवेल के सुरक्षित होने की पुष्टि कराई गई जिनको कैपिंग कराकर बंद किया जा चुका है। श्री सिंह के अनुसार सावधानी के बतौर इन असफल बोरवेल का दोबारा भी सर्वे कराकर उनके पुख्ता तरीके से बंद होने की पुष्टि संबंधित जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से कराई गई।
जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से इन सभी असफल बोरवेल के सुरक्षित होने का प्रमाण-पत्र भी लिया गया है। इसके साथ ही असफल और असुरक्षित बोरवेल के पुख्ता तरीके से बंद होने के प्रमाण की पुष्टि हेतु जियो टैग फोटो भी कराई गई है।
सूचना देने सीएम हेल्पलाइन में नया मॉड्यूल-जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ मनोज सिंह ने बताया कि खुले बोरवेल से संबंधित दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के उद्देश्य से राज्य शासन ने सीएम हेल्पलाइन एप्लिकेशन में एक नया मॉड्यूल भी शामिल किया है।
सीएम हेल्पलाइन एप्लिकेशन को कोई भी नागरिक गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड और इंस्टाॅल कर सकता है। सीएम हेल्पलाइन एप्लिकेशन डाउनलोड करने के बाद नागरिक बोरवेल शिकायत खोले, विकल्प पर जाकर और निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर खुले बोरवेल की सूचना दे सकता है।
Created On :   26 April 2024 2:42 PM IST