जबलपुर: सीमांकन के लिए अभी से बारिश का रोना, कैसे जाएँगे, अब नहीं हो पाएगा

सीमांकन के लिए अभी से बारिश का रोना, कैसे जाएँगे, अब नहीं हो पाएगा
  • फसल खराब न हो की परम्परा के नाम पर शहर में भी करने लगे मनमानी
  • ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो सीमांकन के सबसे अधिक पनागर तहसील के 750 प्रकरण पेंडिंग हैं।
  • पटवारियों को हर कार्य में जुटा दिया जाता है जिससे वे अपने मूल काम को कर ही नहीं पाते।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। अब यदि आपको सीमांकन कराना है तो समझ लो उसके लिए इतने पापड़ बेलने पड़ेंगे कि आप खुद ही मना कर देंगे कि रहने दो मुझे सीमांकन कराना ही नहीं है। यह हाल तब है जब बारिश शुरू भी नहीं हुई तो फिर अगस्त और सितम्बर माह में क्या होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है।

दरअसल वर्षों पहले ग्रामीण क्षेत्रों में खेत-खलिहान में फसल खराब न हो इसलिए सीमांकन कुछ समय के लिए बंद कर दिए जाते थे। खासकर मानसून आते ही यानी 15 जून से लेकर सितम्बर तक।

यह न तो नियम है और न ही कहीं इसका उल्लेख है, लेकिन बाद में इसे हर साल लागू किया जाने लगा और अब तो हद यह है कि शहरी क्षेत्रों में भी सीमांकन के लिए मना कर दिया जाता है। यह अलग बात है कि यदि एप्रोच लगाई जाए तो फिर सब संभव है।

इन दिनों जिले में सीमांकन के करीब 3 हजार प्रकरण पेंडिंग हैं, जिनमें सबसे अधिक जबलपुर तहसील के 1015 के लगभग हैं। वहीं नामांतरण के 10 हजार से अधिक प्रकरण लटके हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक 3600 के करीब अधारताल तहसील के हैं जबकि गोरखपुर तहसील के 2 हजार से अधिक प्रकरण निराकृत होने की राह देख रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो सीमांकन के सबसे अधिक पनागर तहसील के 750 प्रकरण पेंडिंग हैं। वहीं नामांतरण के भी मामले पनागर में ही सबसे अधिक 1500 से ज्यादा हैं।

पटवारियों के ऊपर एक नहीं अनेक जिम्मेदारी

बताया जाता है कि सीमांकन और नामांतरण के प्रकरणों के लटकने के पीछे पटवारियों पर लादे जा रहे कार्य हैं। पटवारियों को हर कार्य में जुटा दिया जाता है जिससे वे अपने मूल काम को कर ही नहीं पाते।

अब आचार संहिता समाप्त हो चुकी है लेकिन उसके पहले तो उन्हें चुनाव के अधिकांश कार्यों में जुटा दिया गया था। किसानों का सर्वे करना हो, उनकी फसल की जाँच करनी हो, वेयर हाउस में उपार्जन का कार्य हो या फिर स्कूलों की जाँच। हर कार्य में पटवारियों का सहयोग लिया जाता है जिससे वे सीमांकन और नामांतरण जैसे कार्यों को करने में असमर्थ हो जाते हैं।

बारिश का रोना नहीं रो सकते

वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी खेतों और जंगली क्षेत्रों को छोड़कर बाकी किसी जगह सीमांकन के लिए कोई मना नहीं कर सकता। शहरी क्षेत्र में तो सीमांकन वर्ष भर किया जाता है। कोई यदि बारिश का बहाना बनाकर सीमांकन के मामले को लटका रहा है तो उसकी शिकायत की जा सकती है।

Created On :   24 Jun 2024 2:02 PM GMT

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