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कछपुरा मालगोदाम के हाल: घरों में तक जम गई ब्लू डस्ट, बीमार हो रहे लोग
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
रेलवे की कछपुरा स्थित गुड साइडिंग (मालगाेदाम) भले ही रेलवे की आय के लिए वरदान साबित हो रहा है, मगर यह मालगोदाम आसपास के रहवासी इलाकों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। सुबह से लेकर देर रात तक यहाँ भारी वाहनों की आवाजाही व मालगोदाम में ब्लू डस्ट की लोडिंग-अनलोडिंग से उड़ती धूल से जहाँ सड़कें नहा रही हैं, वहीं अासपास की काॅलोनियों में भी यह डस्ट घुस रही है। लोडिंग-अनलोडिंग के दौरान इस क्षेत्र का नजारा देखते ही बनता है, जो धूल के गुबार से काला नजर आने लगता है। हर तरफ डस्ट ही डस्ट नजर आती है। इस दौरान सामने से आ रहे वाहन तक दिखाई नहीं देते। लोग घरों से बाहर तक नहीं निकलते। यहाँ रहने वाले लोगों का कहना है कि यह मालगोदाम अब लोगों के लिए मुसीबत और बीमारी का कारण बनता जा रहा है। इसे अब शहर से कहीं बाहर शिफ्ट किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि पूर्व में मालगोदाम का सारा काम मुख्य स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक-6 के बाहर साइड से होता था। यहाँ कार्य बढ़ने आैर जगह कम पड़ने की स्थिति में इसे कछपुरा में शिफ्ट कर दिया गया। यहाँ के लोगों का कहना है कि जिस वक्त कछपुरा में मालगाेदाम बनाया गया था उस वक्त यह क्षेत्र विकसित नहीं था। खुला मैदान, खेतों और रहवासी एरिया से काफी दूर हाेने के कारण इसका निर्माण किया गया, मगर अब यह लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है।
आसपास बन गईं काॅलोनियाँ
बताया जाता है कि अब हालत यह है कि कछपुरा मालगोदाम के आसपास कई कालोनियाँ बन गई हैं। हर तरफ घर ही घर नजर आ रहे हैं। सबसे नजदीक तो भूलन बस्ती और संजीवनी नगर काॅलोनी है। जहाँ कभी खेत हुआ करते थे अब वहाँ मकान बन गए हैं। इस क्षेत्र में लोगों की आवाजाही बढ़ गई है। मालगोदाम में आने-जाने वाले वाहन यहाँ के लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। बताया जाता है कि जब इस मार्ग से बड़े वाहन निकलते हैं तो धूल का गुबार इस तरह उड़ता है कि पूरी सड़क पर अँधेरा छा जाता है। इसके अलावा आसपास के घरों में डस्ट भर रही है।
2 किमी का मुख्य मार्ग हो गया जर्जर
कछपुरा मालगोदाम से फैल रही अव्यवस्था से हर कोई परेशान नजर आ रहा है। इस क्षेत्र का मुख्य मार्ग का करीब 2 किमी का हिस्सा भारी वाहनों की आवाजाही से जर्जर हो गया है। इस जर्जर मार्ग से कॉलोनीवासियों व बस्ती में रहने वालेे लोगों का आवागमन दुश्वार हो गया है। मगर रेल प्रशासन द्वारा इसका निर्माण नहीं कराया जा रहा है। जिससे आए दिन दुर्घटनाओं की संभावना भी बनी रहती है। बड़े वाहनों में भारी भरकम सामाग्री लोड कर आने-जाने से इनका शोर भी ज्यादा होता है। यह शोर रात 10 बजे के बाद से सुबह 5 बजे तक जारी रहता है, जिससे लोगों की नींद तक पूरी नहीं हो पाती।
Created On :   15 May 2023 1:25 PM IST