Beed News: होली पर दामाद की गधे पर सवारी की 100 सालों की परंपरा रद्द

होली पर दामाद की गधे पर सवारी की 100 सालों की परंपरा रद्द
  • सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के कारण ग्रामीणों का फैसला
  • होली से दो दिन पहले दामाद ढूंढने के लिए गठित की जाती है समिति

Beed News मस्साजोग के सरपंच संतोष देशमुख की निर्मम हत्या कर दी गई। इस घटना ने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर कर रख दिया है। इस बीच इस घटना की गंभीरता को देखते हुए बीड जिले से केज तहसील के विडा गांव ने बड़ा फैसला लिया है। पिछले सौ वर्षों से चली आ रही यह परंपरा इस वर्ष रद्द कर दी गई है। विडा गांव के सरपंच सूरज पटायत ने इस संबंध में घोषणा की है।

विडा गांव में आयोजित होने वाला वार्षिक दामाद की गधे पर सवारी इस वर्ष नहीं निकाली जाएगी। पिछले सौ वर्षों से इस गांव में होली के दिन दामाद की गधे पर बारात निकाली जाती है। हालांकि, इस वर्ष मस्साजोग सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के कारण यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।

गधे पर दामाद की सवार की परंपरा वास्तव में क्या है?

हर साल होली के दिन बीड जिले के केज तहसील के विडा गांव में दामाद के गधे पर जुलूस निकाला जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह प्रथा 1915 में शुरू हुई थी। इस काल में निज़ाम का शासन था। उस समय विडा गांव एक जागीरदारी गांव था। उस समय जागीरदार ठाकुर आनंदराव देशमुख के दामाद होली को श्रद्धांजलि देने के लिए विडा गांव ससुरवाड़ी आए थे। उस समय वे भांग पीते थे। इस समय दामाद का मजाक उड़ाया गया और उसे गधे पर घुमाया गया। तभी से यह परंपरा शुरू हुई।

दामाद को गले में चप्पलों की माला पहनाकर तथा गधे पर बैठाकर जुलूस निकाला जाता है। दिलचस्प बात यह है कि होली से दो दिन पहले दामाद ढूंढने के लिए एक समिति गठित की जाती है। बारात के बाद दामाद का लोगों द्वारा स्वागत किया जाता है। ऐरवी गांव में श्रद्धापूर्वक आने वाले लोग होली के दौरान दूर रहना पसंद करते हैं। खास बात यह है कि एक बार सम्मान मिलने के बाद इस दामाद की बारात दूसरी बार नहीं निकाली जाती।


Created On :   13 March 2025 6:49 PM IST

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