बिजनेस: साइरस मिस्त्री को SC से झटका, टाटा समूह में चेयरमैन पद पर बहाली के NCLAT के फैसले पर रोक
- SC ने साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन के रूप में बहाली के फैसले पर रोक
- कोर्ट ने मिस्त्री को 4 सप्ताह में टाटा समूह की अपील का जवाब दाखिल करने को कहा
- चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में बहाल करने के नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले पर रोक लगा दी। चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने मिस्त्री और शापूरजी पलोनजी समूह समेत स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट और साइरस इन्वेस्टमेंट को चार सप्ताह में टाटा समूह की अपील का जवाब दाखिल करने को कहा है।
NCLAT ने दिए थे मिस्त्री के बहाली के आदेश
NCLAT ने दिसंबर में टाटा संस के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में साइरस मिस्त्री की बहाली के आदेश दिए थे। NCLAT ने समूह के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को भी अवैध माना था। टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड (TSPL) ने NCLAT के इस फैसले को चुनौती दी थी। NCLAT ने यह भी फैसला सुनाया कि 110 बिलियन डॉलर के सॉल्ट-टू-सॉफ्टवेयर समूह की होल्डिंग कंपनी के प्रमुख के रूप में एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति अवैध थी।
2012 में मिस्त्री ने संभाला था चेयरमैन का पद
रतन टाटा के रिटायरमेंट की घोषणा के बाद मिस्त्री ने 2012 में टाटा संस के छठे चेयरमैन के रूप में पद संभाला था। 24 अक्टूबर 2016 में उन्हें पद से हटा दिया गया था और रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बनाए गए थे। 19 दिसंबर 2016 को मिस्त्री ने टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। 12 जनवरी 2017 को एन चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए गए थे।
18 दिसंबर को सुनाया था NCLAT ने फैसला
NCLAT की दो सदस्यीय बेंच ने 18 दिसंबर को मिस्त्री और दो निवेश फर्मों की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए टाटा संस के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में साइरस मिस्त्री की बहाली के आदेश दिए थे। अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इस मामले में मैराथन सुनवाई पूरी करने के बाद जुलाई-2019 में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। मिस्त्री कैंप ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच के 9 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें टाटा संस के चेयरमैन के रूप में उनके निष्कासन के खिलाफ याचिका खारिज कर दी गई थी।
मिस्त्री पर लगे थे कंपनी को नुकसान पहुंचाने के आरोप
मिस्त्री ने अपनी दलीलों में मुख्य रूप से कहा था कि उनका निष्कासन कंपनी अधिनियम के अनुसार नहीं था। उन्होंने टाटा सन्स के मैनेजमेंट में खामियों और रतन टाटा के दखल का आरोप भी लगाया था। इसके बाद मिस्त्री ने खुद फैसले के खिलाफ अपील की थी। साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाते हुए टाटा ग्रुप ने कहा था कि "बोर्ड उनके प्रति विश्वास खो चुका है। ग्रुप ने आरोप लगाया था कि मिस्त्री ने जानबूझकर और कंपनी को नुकसान पहुंचाने की नीयत से संवेदनशील जानकारी लीक की। इसकी वजह से ग्रुप की मार्केट वैल्यू में बड़ा नुकसान हुआ।
Created On :   10 Jan 2020 1:36 PM IST