पजेशन में एक साल से अधिक की देरी हुई तो होमबॉयर्स रिफंड का दावा करने के हकदार - NCDRC

NCDRC says Homebuyers entitled to claim refund if possession delayed beyond a year
पजेशन में एक साल से अधिक की देरी हुई तो होमबॉयर्स रिफंड का दावा करने के हकदार - NCDRC
पजेशन में एक साल से अधिक की देरी हुई तो होमबॉयर्स रिफंड का दावा करने के हकदार - NCDRC

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वर्षों से अपने फ्लैटों पर कब्जे का इंतजार कर रहे लाखों पीड़ित होमबॉयर्स को शीर्ष उपभोक्ता आयोग से राहत मिली है। उपभोक्ता आयोग ने पहली बार परियोजना में देरी के बाद रिफंड के क्लेम की समयावधि निर्धारित की है। आयोग ने निर्णय लिया है अगर बिल्डर निर्धारित समय से पजेशन देने में एक साल से ज्यादा की देरी करते हैं तो उपभोक्ता अपने पैसों की वापसी का दावा करने के हकदार होंगे।

सुप्रीम कोर्ट और उपभोक्ता अदालतों सहित विभिन्न ज्यूडिशियल फर्मों ने बार-बार कहा है कि होमबायर्स को पजेशन के लिए अनिश्चित काल तक प्रतीक्षा नहीं कराया जा सकती है। वे कब्जे में देरी के लिए रिफंड का दावा करने के हकदार हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि खरीदार देरी के मामले में धन वापसी का दावा कितने समय बाद कर सकते हैं। अब, नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमिशन ने कहा है कि अगर बिल्डर्स फ्लैट सौंपने में एक साल से ज्यादा की देरी करते हैं तो होमबार्यर्स बिल्डर्स से रिफंड का दावा कर सकते हैं।

प्रेम नारायण की बेंच ने फैसला सुनाया है। अदालत ने दिल्ली निवासी शलभ निगम द्वारा दायर एक याचिका पर आदेश पारित किया, जिसने 2012 में गुरुग्राम में अल्ट्रा-लक्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट ग्रीनोपोलिस में एक फ्लैट खरीदा था, जिसे ओरिस इन्फ्रास्ट्रक्चर और 3 सी कंपनी द्वारा विकसित किया जा रहा है। उन्होंने लगभग एक करोड़ रुपये की कुल लागत के मुकाबले लगभग 90 लाख रुपये का भुगतान किया था।

समझौते के अनुसार फ्लैट को आवंटन की तारीख से छह महीने की अनुग्रह अवधि के साथ 36 महीने के भीतर सौंप दिया जाना था। बिल्डर ने जब तय सीमा में प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया तो उन्होंने अपने अधिवक्ता आदित्य पारोलिया के माध्यम से आयोग का रुख किया था।

बिल्डर ने कहा कि खरीदार ने किश्तों का भुगतान करना बंद नहीं किया है और धनवापसी का आदेश दिया गया है। इसीलिए सहमत क्लॉज के अनुसार बयाना राशि के रूप में दी गई 10% राशि को जब्त करने का वह (बिल्डर) हकदार है। हालांकि आयोग ने यह कहते हुए बिल्डर की बात को खारिज कर दिया कि किस्तों का भुगतान सातवें चरण तक किया गया था और भुगतान बाद में रोक दिया गया था क्योंकि निर्माण में कोई प्रगति नहीं हुई थी।

सुनवाई के दौरान खरीदार ने आयोग से कहा कि वह फ्लैट का पजेशन चाहता है। जिसके बाद आयोग ने बिल्डर को निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया। आयोग ने कहा कि समझौते की शर्तों के अनुसार बिल्डर सितंबर 2019 के अंत तक खरीदार को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट सौंपने के बाद फ्लैट का फिजिकल पजेशन सौंपे।  

Created On :   16 May 2019 7:26 PM IST

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