स्वाति मालिवाल मारपीट मामला: दिल्ली हाई कोर्ट से नहीं मिली आरोपी विभव कुमार को राहत, अब सुप्रीम कोर्ट से जमानत की लगाई गुहार
- दिल्ली कोर्ट से विभव कुमार को लगा झटका
- कोर्ट ने खारिज की विभव कुमार की जमानत याचिका
- सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे विभव कुमार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालिवाल से मारपीट मामले में मारपीट करने वाले विभव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 जुलाई को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीए रहे विभव कुमार को कोई राहत नहीं दी थी। कोर्ट ने विभव कुमार की जमानत देने से इनकर करते हुए याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद अब विभव कुमार ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट की ओर किया रुख
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में सुनवाई करते हुए विभव कुमार की याचिक खारिज कर दी थी। जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा था कि विभव कुमार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी रहे हैं। इस वजह से उनका प्रभाव अधिक होने से उन्हें राहत देने के कोई आसार नहीं दिख रहा है। जज ने कहा कि फैसले सुनाते हुए कहा कि आरोपों की प्रकृति और गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका के मद्देनजर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं बनता है।
केजरीवाल के आवास पर हुई थी मारपीट
दिल्ली पुलिस ने 18 मई को विभव कुमार को गिरफ्तार किया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल के पीए को स्थानीय अदालत में पेश किया था। जहां कोर्ट ने विभव को पांच दिनों की पुलिस कस्टडी में भेजने का फैसला सुनाया था। बता दें, 13 मई को विभव कुमार पर आरोप लगा था कि उन्होंने केजरीवाल के आवास पर आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालिवाल के साथ मारपीट की थी। फिर मालीवाल ने पुलिस से विभव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। जिसके बाद यह घटना काफी दिनों तक सुर्खियों में रही थी।
इस मामले में विभव कुमार पर धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (बी) (महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से गलत शब्द, इशारा या काम करना) के तहत मामला दर्ज हुआ था। यदि कोर्ट में विभव के ऊपर लगे आरोप सच होते है तो उन्हें लंबी सजा तक मिल सकती थी।